उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मथुरा जनपद में नंदबाबा मंदिर परिसर (Nandbaba Nand Mahal Temple) में नमाज पढ़ने के आरोप में गिरफ्तार फैसल खान का नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों से लिंक पाया गया है। आरोपी फैजल खान (accused faisal khan) सीएए कानून विरोधी प्रदर्शनों का हिस्सा था। फैसल खान और मोहम्मद चांद की इस हरकत के पीछे तथाकथित विदेशी मुस्लिम संगठनों के शामिल होने आर इसमें फंडिंग की आशंका जताई गई है। सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं, जिसमें आरोपी फैसल सीएए कानून विरोधी प्रदर्शन में देखा जा रहा है।
इस मामले में चार लोगों पर केस दर्ज किया गया है। आरोप है कि 29 अक्टूबर को मथुरा के नंद बाबा मंदिर में चार लोग आए। इनमें से दो लोगों ने मंदिर के सेवायतों को गुमराह कर मंदिर परिसर में ही नमाज पढ़ी। इस मामले में धारा 153A, 295, 505 के तहत बरसाना थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
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मामले की जांच कर रही पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आरोपी फैसल खान द्वारा मंदिर में नमाज सद्भावना के लिए पढ़ी थी या फिर इसके पीछे कोई बड़ी साजिश थी। यही नहीं, पुलिस इस एंगल से भी मामले की जांच कर ही है कि मंदिर में नमाज पढ़ने और उसकी फोटो-वीडियो वायरल करने के पीछे आखिर क्या मंशा थी?
ये है पूरा मामला
दरअसल, नंदगांव के विश्व प्रसिद्ध से नंद बाबा मंदिर में 29 अक्टूबर की दोपहर हरी टोपी लगा कर दो युवक अपने तीन सहयोगियों के साथ पहुंचे। मंदिर में पहुंचने के बाद एक युवक ने अपना नाम फैसल खान बताया और अपने साथ आए साथियों का परिचय मोहम्मद चांद, नीलेश गुप्ता और आलोक रतन के रूप में कराया।
फैसल ने मंदिर के सेवायत पुजारी कान्हा गोस्वामी से दर्शन करने की बात कही और स्वयं को हिंदू मुस्लिम संस्कृति में विश्वास रखने वाला बताया और अपने मोबाइल से तमाम हिंदू संत-महंतों के साथ अपनी फोटो दिखाए। सेवायत ने उनकी बात का मान रखते हुए दर्शन करने की अनुमति दी और वह दर्शन करके मंदिर के गेट नंबर 2 की ओर चले गए।
कोविड-19 के चलते मंदिर में आजकल श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं है। इसका फायदा उठाकर फैसल खान ने मंदिर परिसर में चांद मोहम्मद के साथ नमाज पढ़ी और उसके साथी नीलेश गुप्ता और आलोक ने उनके फोटो खींचे। इसके बाद तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर दी, जो वायरल हो गईं।
नंदबाबा मंदिर के पुजारी का आरोप है कि आरोपियों ने धोखे से मंदिर में नमाज पढ़ी। यही नहीं, पुजारी ने फैसल खान की इस हरकत को नमाज जिहाद बताया है। मंदिर में नमाज पढ़ने के बाद शुद्धिकरण के लिए हवन यज्ञ हो चुका है। संत समाज की मांग है कि मंदिर में नमाज पढ़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि ये एक धर्म के लोगों को उकसाने की कोशिश है।
वहीं, कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि इसमें कुछ गलत नहीं है। ऐसे में हिंदू धर्मगुरुओं ने मुस्लिम धर्मगुरुओं से सवाल किया है कि मंदिर में अगर सांप्रदायिक सद्भाव को कोशिश के लिए नमाज पढ़ी गई तो ये लोग मस्जिद में भजन-कीर्तन और आरती कब कराएंगे?
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