सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का विवाद तो खत्म हो गया है, लेकिन अब मथुरा (Mathura) में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह (Shahi Idgah) के मामले में हिंदू आर्मी की तरफ से सिविल जर्ज (प्रवर वर्ग) की कोर्ट में एक हफ्ते पहले दी गई अर्जी पर 4 जनवरी को सुनवाई होगी।
पहले इस अर्जी पर मंगलवार को ही सुनवाई होनी थी, लेकिन शोकावकाश के कारण यह सुनवाई नहीं हो पाई थी। खुद को हिंदू आर्मी का प्रमुख बताने वाले मनीष यादव ने भगवान श्रीकृष्ण का वंशज बताते हुए कोर्ट में दावा पेश किया है, जिसमें उन्होंने 1967 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान की जमीन को लेकर शाही ईदगाह के साथ हुए समझौते की डिक्री (न्यायिक निर्णय) को रद्द कर ईदगाह को ध्वस्त कराकर उक्त जमीन कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट (Krishna Janmbhoomi Trust) को वापस करने की मांग की है।
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गौरतलब है कि इससे पहले लखनऊ निवासी एडवोकेट रंजना अग्निहोत्री आदि आधा दर्जन भक्तों ने भगवान की ओर से याचिका दाखिल कर यही मांगें जनपद की अदालत में रखी थीं। उन्होंने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, शाही ईदगाह मैनेजमेंट कमेटी के सचिव, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के प्रबंधक न्यासी तथा श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव को पक्ष बनाया था।
जानकारी के अनुसार, मनीष यादव ने भी अधिवक्ताओं के माध्यम से इन्हीं सब को प्रतिवादी बनाते हुए 15 दिसम्बर को एक दावा सिविल जज (प्रवर वर्ग) नेहा भदौरिया की अदालत में दाखिल किया था, जिसमें अदालत ने इस संबंध में 22 दिसंबर को पुन: सुनवाई तय की थी।
ऐसे में मंगलवार को मनीष यादव अदालत में पेश हुए, लेकिन एक एडवोकेट का आकस्मिक निधन होने की वजह से अदालत में शोकावकाश घोषित कर दिया गया।
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