मथुरा (Mathura) में श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna janmabhoomi) मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने बड़ा खुलासा किया है। एएसआई ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि मुगल शासक औरंगजेब (Aurangzeb) ने मस्जिद के लिए हिंदू मंदिर को तोड़ा था। इस मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के प्रपौत्र व्रजनाभ ने कराया था। हालांकि, एएसआई की ओर से जवाब में कृष्ण जन्मभूमि का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया, लेकिन केशवदेव मंदिर का जिक्र कर कहा गया कि इस मंदिर को औरंगजेब के कार्यकाल में तोड़ा गया था।
अजय प्रताप सिंह ने दायर की थी आरटीआई
एएसआई ने 1920 के राजपत्र के ऐतिहासिक रिकॉर्ड के आधार पर जानकारी दी है। एएसआई ने नवंबर 1920 के गजट का एक अंश सलंग्न करते हुए कहा कि कटरा टीले के हिस्से जो नाज़ुल किराएदारों के कब्जे में नहीं हैं, जिस पर पहले केशवदेव का मंदिर था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया था और उस जगह का उपयोग औरंगजेब की मस्जिद के लिए किया गया था।
दरअसल, ये आरटीआई मैनपुरी के रहने वाले अजय प्रताप सिंह की तरफ से दायर की गई थी। जवाब एएसआई, आगरा सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद् के कार्यालय से आया था। अजय प्रताप सिंह ने केशवदेव मंदिर के विध्वंस के बारे में जानकारी मांगी थी। ऐसा दावा किया जाता है कि ये मंदिर कृष्ण जन्मभूमि परिसर का ही हिस्सा था।
शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर जारी कानूनी लड़ाई में इस रिपोर्ट को बेहद अहम माना जा रहा है। हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि वह आरटीआई रिपोर्ट को इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करेंगे। उनकी ओर से शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे की मांग भी की गई है। इतिहासकारों का मानना है कि केशवदेव मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के प्रपौत्र व्रजनाभ ने कराया था। इसके बाद कई राजाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
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बता दें कि मथुरा का यह विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकान हक से जुड़ा हुआ है। श्रीकृष्ण जन्मस्थानभूमि के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है, जबकि ढाई एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। हिंदू पक्ष पूरी जमीन पर अपना दावा करता है। ऐसे में कोर्ट में जमीन के मालिकाना हक को लेकर याचिका दाखिल की गई। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में की जा रही है।
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