भगवान श्रीकृष्ण विराजमान (Shri Krishna Virajman) की ओर 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक के लिए सोमवार को जिला जज मथुरा (Mathura) साधना रानी ठाकुर की अदालत ने स्वीकार ली है. अगली सुनवाई 16 अक्तूबर को होगी. इसके बाद ही अदालत कोई निर्णय देगी. दरअसल, श्रीकृष्ण विराजमान और शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने के लिए रंजना अग्निहोत्री सहित 6 वकीलों की ओर से दायर की गई याचिका को अपर जिला जज/एफटीसी द्वितीय छाया शर्मा ने खारिज कर दिया था. इसी आदेश को भक्तों की ओर से अधिकवक्ता विष्णु शंकर जैन, हरी शंकर जै, करूणेश शुक्ला औऱ पंकज कुमार वर्मा ने जिलाजज साधना रानी ठाकुर की अदालत में चुनौती दी है.
इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान द्वारा दावे की अपील सोमवार को जिला जज साधना रानी ठाकुर की अदालत में की गई. सोमवार दोपहर करीब 2.45 मिनट पर शुरू हुई. सुनवाई 4.45 बजे तक पूरी हो गई. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन और पंकज कुमार वर्मा ने दावा दाखिल करने के लिए अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखा.
अधिवक्ताओं ने सबसे पहले उक्त जमीन के इतिहास की जानकारी दी. फिर उन्होंने 02 अक्तूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान द्वारा 13.37 एकड़ जमीन पर कमेटी ऑफ मैनेजमेट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद के साथ हुए समझौते को गैर कानूनी बताया. कहा कि इसके बाद 1973 में डिक्री (न्यायिक निर्णय) किया गया था. अधिवक्ताओं ने बताया कि वह उस न्यायिक निर्णय को रद्द कराना चाहते हैं. उनकी ओर से इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को भी कोर्ट के समक्ष रखा गया. सुनवाई के बाद न्यायालय ने इससे पूर्व दावा अस्वीकार करने वाली फाइल को पूर्व न्यायालय एडीजे-2 से मंगा लिया.
30 सितंबर को खारिज हुई थी याचिका
श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में 25 सितंबर को याचिका दायर की गई थी. अदालत के छुट्टी पर होने के कारण इसे उनकी लिंक कोर्ट अपर जिलाजज/एफटीसी द्वितीय छाया शर्मा की अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया. अदालत ने 30 सितंबर को इस पर सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था.
वक्फबोर्ड ने नियुक्त किया अधिवक्ता
याचिका में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पार्टी बनाया है. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस मामले की पैरवी के लिए सदर बाजार निवासी मश्कुर अली को पैरवी के लिए अधिकृत किया है. मश्कुर अली ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से शैलेश दुबे को अधिवक्ता नियुक्त किया है. शैलेश दुबे ने बताया कि उनके पक्षकार को अदालत से कोई अधिकृत नोटिस नहीं मिला है. यदि नोटिस मिलेगा तो सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से वह अपना पक्ष अदालत के समक्ष रखेंगे.
Also Read: मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस: जानिए क्या है 1968 का वह समझौता, जिस पर है विवाद, आज होगी सुनवाई
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )