राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत 4 राज्यों में मायावती की 20 रैलियां, भतीजे आकाश को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी, बिगड़ सकता है NDA और INDIA का समीकरण

बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में रैलियां करेंगी। यह 2024 लोकसभाचुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो का सबसे बड़ा चुनावी अभियान माना जा रहा है। 6 नवंबर से शुरू होने वाली मायावती की चुनावी रैलियां मध्य प्रदेश और राजस्थान में होंगी। इसके बाद वह तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में लोगों के बीच पहुंचेंगी।

एनडीए और इंडिया का बिगाड़ सकती हैं समीकरण

राजनीति के जानकारों का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बसपा प्रमुख मायावती की 20 चुनावी रैलियां राज्यों के चुनाव में एनडीए और आईएनडीआईए का समीकरण बिगाड़ सकती है। वहीं, मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनाव में भतीजे आकाश आनंद की चुनावी परीक्षा का भी आंकलन किया जाएगा।

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मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव की जिम्मेदारी दी है। वहीं, नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार और राजस्थान में कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए सड़क पर उतर चुके हैं।

आकाश आनंद का राजनीतिक कद बढ़ाने पर फोकस

जानकारी के अनुसार, आकाश आनंद ने 2017 में राजनीति में कदम रखा था। मायावती ने 2017 में एक बड़ी रैली कर आकाश आनंद को राजनीति में लॉन्च किया था। यूपी में आकाश की लॉन्चिंग के बाद बसपा लगातार कमजोर ही हुई है। 2017, 2019 में पार्टी को बड़ी हार मिली तो वहीं 2022 के यूपी चुनाव में तो बसपा महज एक सीट पर सिमट गई थी।

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बसपा के प्रदर्शन में आई बड़ी गिरावट के बाद ऐसे राज्यों में जहां पार्टी की जड़ें पुरानी और गहरी तो हैं, लेकिन उतनी मजबूत नहीं। ऐसे आकाश आनंद से किसी चमत्कार की आस बेमानी ही होगी। वहीं, दूसरी तरफ आकाश आनंद में मायावती के राजनीतिक वारिस की छवि देखी जाती है।

ऐसे में उनको चार चुनावी राज्यों की जिम्मेदारी मिलना नहीं चौंकाता, लेकिन सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा जरूर शुरू हो गई है कि क्या आकाश आनंद चार ऐसे राज्यों की जिम्मेदारी के साथ न्याय कर पाएंगे। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि आकाश आनंद को यूपी बेस्ड पार्टी मानी जाने वाली बसपा के लिए इन चार राज्यों में से तीन बहुत महत्वपूर्ण रही। आकाश के सामने बतौर प्रभारी निष्ठावान और जिताऊ उम्मीदवारों के चयन की चुनौती होगी।

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