बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपनी और हाथियों की मूर्तियां बनवाने के फैसले का मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया है। मायवती ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दायर करते हुए कहा कि अगर भगवान राम की मूर्ति बन सकती है तो मेरी क्यों नहीं? यही नहीं, मायावती ने यह भी कहा कि अगर अयोध्या में भगवान राम की 221 मीटर की प्रतिमा बननी प्रस्तावित हो सकती है तो मैं अपनी मूर्ति क्यों नहीं बनवा सकती हूं।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति पर खड़े किए सवाल
बसपा सुप्रीमो ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के जवाब में लिखा कि ये कोई नहीं बात नहीं है। कांग्रेस के समय में भी केंद्र और राज्य सरकारों ने जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, नरसिम्हा राव जैसे नेताओं की जनता के पैसों से मूर्तियां स्थापित करवाई थीं, लेकिन तब किसी ने भी इसपर आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी और न ही किसी ने सवाल पूछा था। मायवती ने गुजरात में 182 मीटर ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति पर भी सवाल खड़े किए हैं।
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मायावती ने अपने जवाब में आगे लिखा कि मैंने अपना सारा जीवन पिछड़े और दबे कुचले लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए अर्पित कर दिया है, अपने समर्पण की ही वजह से मैंने तय किया कि मैं विवाह नहीं करूंगी, जनता की उम्मीदें पूरी करने के लिए ही मैंने ये स्मारक बनवाए हैं।
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मान्यवर कांशीराम को मिले भारत रत्न
मायावती ने अपने जवाब में कहा कि मैं जब-जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही, मैंने पिछड़ों के लिए कई अहम योजनाएं चलाईं। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि गरीब, पिछड़े और वंचित वर्ग की जनता ने कांशीराम से ये इच्छा जताई थी, जनता चाहती है कि कांशीराम को मरणोपरांत भारत रत्न मिले।
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