बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती (Mayawati) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकारों पर नाम बदलने की राजनीति को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में जिलों, शहरों और संस्थानों के नाम बदलने की प्रवृत्ति कानून के शासन का हिस्सा नहीं है, बल्कि अपनी विफलताओं को छिपाने की एक संकीर्ण राजनीतिक रणनीति है।
गुड गवर्नेंस पर जोर
मायावती ने अपनी सरकार की नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि बसपा शासन के दौरान गुड गवर्नेंस (अच्छे प्रशासन) को प्राथमिकता दी गई थी। उन्होंने कहा, “हमने अपनी सरकारों में नई योजनाएं लागू कीं, नए जिले, तहसील, अस्पताल और विश्वविद्यालय स्थापित किए, लेकिन किसी का नाम नहीं बदला। सरकारों को इससे सीख लेनी चाहिए।”
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BJP पर भेदभाव और द्वेष फैलाने का आरोप
1. यूपी की रही सपा सरकार की तरह ही महाराष्ट्र, उत्तराखण्ड व यूपी आदि भाजपा सरकार द्वारा जिला, शहरों व संस्थानों आदि के नामों को बदलने की प्रवृति कानून के राज का गवरनेन्स नहीं बल्कि द्वेष व भेदभाव के आधार पर अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने की अति चिन्तनीय संकीर्ण राजनीति।
— Mayawati (@Mayawati) April 1, 2025
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “जैसे सपा सरकार में नाम बदलने की राजनीति हुई थी, वैसे ही अब भाजपा सरकारें भी यही कर रही हैं। यह द्वेष और भेदभाव की राजनीति है, जिससे सिर्फ अपनी विफलताओं को छिपाया जा रहा है।”
उत्तराखंड में नाम बदलने पर अखिलेश यादव का तंज
उत्तराखंड में 15 स्थानों के नाम बदलने के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के फैसले पर समाजवादी पार्टी (SP) प्रमुख अखिलेश यादव ने तंज कसा। उन्होंने कहा, “अगर भाजपा को नाम बदलने का इतना ही शौक है, तो उत्तराखंड का नाम ही ‘यूपी-2’ कर देना चाहिए।”
कांग्रेस का BJP पर हमला
कांग्रेस ने भी भाजपा की इस नीति पर सवाल उठाया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भाजपा के पास जनता के लिए असली काम करने को कुछ नहीं है, इसलिए वे नाम बदलने की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने इसे भाजपा का ‘राजनीतिक एजेंडा’ करार दिया।
BJP के नाम बदलने की नीति पर जारी है बहस
नाम बदलने की राजनीति को लेकर विपक्ष लगातार भाजपा सरकारों को घेर रहा है। मायावती और अखिलेश यादव के तीखे बयान इस बहस को और तेज कर सकते हैं। अब देखना होगा कि भाजपा सरकारें इस पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं।