मेरठ: एक रिटायर्ड सेना अधिकारी वीरेंद्र सिंह मलिक ने अपनी पत्नी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपने बेटे की संदिग्ध मौत की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि पुलिस ने मामला सही तरीके से नहीं लिया और इसे आत्महत्या का रूप दे दिया।
वीरेंद्र मलिक ने बताया
वीरेंद्र सिंह मलिक ने बताया कि उनका बेटा, 32 वर्षीय नीतीश मलिक, 14 मई 2024 को सुबह ड्यूटी पर जाने के बाद संदिग्ध हालात में मरा पाया गया। पुलिस ने इसे हादसा मानते हुए हत्या का मामला दर्ज नहीं किया। वीरेंद्र का कहना है कि बेटे के शव के पास बुलेट बाइक, मोबाइल, स्मार्टवॉच और पर्स सहित अन्य सामान बिखरे पड़े थे, जिससे यह हादसा नहीं, बल्कि हत्या का मामला प्रतीत होता है।
बहू पर हत्या की साजिश रचने का आरोप
वीरेंद्र ने आरोप लगाया कि नीतीश की पत्नी वैशाली और उसके भाई ने संपत्ति पर कब्जा करने के लिए मिलकर उसकी हत्या करवाई। उन्होंने कहा कि वैशाली के किसी अन्य व्यक्ति से अवैध संबंध थे, और वह अपनी पूरी तरह से साजिश रच रही थी।
चार बार मुख्यमंत्री से मिलने के बावजूद न्याय की प्रतीक्षा
वीरेंद्र मलिक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के लिए चार बार गोरखपुर में जनता दरबार का दौरा किया, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिला। इसके अलावा उन्होंने लखनऊ में पुलिस हेडक्वार्टर और अन्य उच्च अधिकारियों से भी मुलाकात की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
अंतिम उम्मीद लखनऊ जनसुनवाई
वीरेंद्र सिंह मलिक की अब आखिरी उम्मीद 22 फरवरी 2025 को लखनऊ में होने वाली जनसुनवाई पर टिकी हुई है। उनका कहना है कि अगर निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती, तो उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी से न्याय की भीख मांगी और यदि वे दोषी नहीं पाए जाते, तो वे चाहते हैं कि हत्यारों को सजा मिले।
समाज और प्रशासन से न्याय की अपील
वीरेंद्र मलिक का कहना है कि यदि उनकी गलती साबित हो जाए, तो उन्हें सजा दी जाए, लेकिन अगर वह निर्दोष हैं, तो आरोपियों को सजा दी जाए। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि उनकी ओर से उठाए गए इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए, ताकि उनके बेटे की हत्या का सच सामने आ सके।