अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान बना मेरठ में हापुड़ रोड स्थित मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज (Mulayam Singh Yadav Medical Collage) का नाम अब नेशनल कैपिटल रीजन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस होगा. भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (AIIMS) के अधिक्रमण में शासी बोर्ड ने नए नाम से प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया है. कॉलेज का नाम बदलने पर सियासत शुरू हो गई है. सपाई इसके लिए भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं. बता दें कि यह कॉलेज बीजेपी की विधायक डा. सरोजनी अग्रवाल का है.
मेडिकल कॉलेज 2015 में बना, जब इसका शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था. तब ट्रस्ट चेयरपर्सन सपा नेत्री और एमएलसी डा. सरोजिनी अग्रवाल थीं, लेकिन 2017 में भाजपा सरकार बनने और बाद में उनके भाजपा में शामिल होने के साथ मेडिकल कॉलेज का नाम बदलने की कवायद शुरू कर दी गई थी. हालांकि वे बार-बार इससे इंकार करती रहीं. इस बारे में जब सपा सरकार में मंत्री रहे शाहीद मंजूर से बात की गई तो उनका कहना था कि सब राजनीति से प्रेरित है. ऐसा कर भाजपा ने अपना चेहरा उजागर कर दिया है.
समाजवादी पार्टी के आरोपों पर डा. सरोजिनी अग्रवाल का कहना है कि यह ट्रस्टी और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का फैसला है. उसके बाद मेडिकल काउन्सिल आफ इंडिया का आदेश है. राजनीति होती तो नाम तो पंडित दीनदयाल उपाध्याय या श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर होता.
इसलिए बदला गया नाम
इस वक्त बीजेपी से एमएलसी सरोजिनी अग्रवाल इससे पहले समाजवादी पार्टी की नेता थीं. उनका नाम मुलायम सिंह यादव की गुडलिस्ट में भी शुमार था. यही वजह है कि उन्होंने मेरठ में बनवाए गए इस मेडिकल कॉलेज का नाम उनके नाम पर रखा. लेकिन अब सरोजिनी अग्रवाल बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं. ऐसे में माना जा रहा है कहीं न कहीं कॉलेज का नाम मुलायम सिंह यादव के नाम पर होने की वजह से इसके विकास में अड़चन आ रही है. जिसे दूर करने के लिए कॉलेज का नाम बदला गया है.
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