देश में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने नई नीति को मंजूरी दी है। मोदी सरकार की इस नीति से सकल घरेलू उत्पाद बढ़ने के साथ ही देश में हर साल 40 लाख रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। ऐसे में मोदी सरकार ने देश में नई दूरसंचार नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति में हर साल 40 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने तथा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दूरसंचार क्षेत्र का योगदान छह फीसद से बढ़ाकर आठ फीसद करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस नीति के परिणामस्वरूप दूरसंचार आयोग का नाम बदलकर डिजिटल संचार आयोग हो जाएगा।
सरकार की राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018
बता दें कि बुधवार को पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल की मीटिंग के दौरान नई दूरसंचार नीति को मंजूरी दे दी गई है। इसे राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-218 नाम दिया गया है। दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि इसके तहत 2020 तक देश के हर एक नागरिक को 50 एमबीपीएस की तथा हर एक ग्राम पंचायत को एक जीबीपीएस की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी मिलेगी।
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वहीं, 2022 तक प्रत्येक ग्राम पंचायत को 10 जीबीपीएस की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा इस क्षेत्र में 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए बड़े पैमाने पर इन्फ्रस्ट्रक्चर बढ़ाने और मजबूत करने की आवश्यकता होगी, जिससे प्रतिवर्ष तकरीबन 40 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।
दूरसंचार सेवा पर आठ लाख करोड़ का कर्ज
फिलहाल दूरसंचार सेवा उद्योग पर आठ लाख करोड़ रुपये का कर्ज लदा है। नीति में दूरसंचार कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण संबंधी नियमों को सरल बनाने का भी संकेत दिया गया है, ताकि वित्तीय संकट की स्थिति में कारोबार को बंद करना आसान हो सके। इसके अलावा स्पेक्ट्रम दूसरी कंपनी के साथ बांटने, लीज पर देने तथा बेचने के नियम भी उदार बनाए जाएंगे।
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दूर संचार मंत्री ने कहा, ‘नई नीति संपूर्ण दूरसंचार क्षेत्र को नई गति प्रदान करने के साथ यह सुनिश्चित करेगी कि वित्तीय रूप से दबावग्रस्त उद्योग को महज राजस्व जुटाने का साधन समझने के बजाय अर्थव्यवस्था को सामाजिक-आर्थिक संबल प्रदान करने वाले माध्यम के तौर पर देखा जाए।’
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नई नीति के तहत सरकार स्पेक्ट्रम की कीमतों को उचित स्तर पर रखने के साथ लाइसेंस शुल्क, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी), सार्वभौमिक सेवा दायित्व कोष शुल्क आदि की समीक्षा करेगी। यही वे शुल्क हैं, जिनकी ऊंची दरों के कारण अक्सर दूरसंचार सेवाओं की लागत बढ़ती है। नई नीति से इनकी दरों में कमी आएगी।
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