उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने हापुड़ (Hapur) स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी (Monad University) में चल रहे फर्जी डिग्री घोटाले का पर्दाफाश किया है। जांच में पता चला कि विश्वविद्यालय के नाम पर वर्षों से बी.ए., बी.एड., बी.टेक, लॉ और फार्मेसी जैसे कोर्स की फर्जी डिग्रियां मोटी रकम लेकर बेची जा रही थीं।
50 हजार से 4 लाख रुपये तक में बिकती थीं डिग्रियां
STF अधिकारियों के मुताबिक आरोपी छात्रों से कोर्स के अनुसार 50,000 रुपये से लेकर 4 लाख रुपये तक की वसूली कर रहे थे। फर्जी डिग्री और मार्कशीट तैयार कर उन्हें वास्तविक प्रमाण पत्र की तरह बेचने का यह धंधा बड़े स्तर पर संचालित हो रहा था।
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गिरफ्तार हुए विश्वविद्यालय के बड़े अधिकारी
छापेमारी के दौरान पुलिस ने यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन विजेंद्र सिंह हुड्डा और प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। इनके अलावा स्टाफ के अन्य सदस्य कमल बत्रा, इमरान, गौरव, मुकेश ठाकुर, विपुल चौधरी, अभिषेक पांडे, संदीप शेहरावत और राजेश को भी हिरासत में लिया गया है।
हुड्डा पहले से 15,000 करोड़ के घोटाले में आरोपी
STF ने खुलासा किया कि चेयरपर्सन विजेंद्र सिंह हुड्डा पहले से ही कुख्यात ‘बाइक बोट घोटाले’ में आरोपी हैं, जो करीब 15,000 करोड़ रुपये का मामला है। उनके खिलाफ देशभर में लगभग 100 केस दर्ज हैं। 2022 से वे मोनाड यूनिवर्सिटी का संचालन कर रहे थे। बात दे की विजेंद्र सिंह हुड्डा पहले बीएसपी से चुनाव भी लड़ चुके हैं। और वही बिजनौर में एक समय में दो अलग-अलग हिंदी समाचार चैनलों के मालिक भी रहे है।
शिकायत के बाद शुरू हुई जांच
STF को एक शिकायत के आधार पर जांच शुरू करनी पड़ी थी, जिसमें बताया गया कि विश्वविद्यालय में बड़ी मात्रा में फर्जी डिग्रियां तैयार की जा रही हैं। हरियाणा निवासी संदीप की गिरफ्तारी के बाद इस रैकेट की पूरी परतें खुलनी शुरू हुईं। संदीप ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह विजेंद्र सिंह हुड्डा के निर्देश पर नकली डिग्रियां छाप रहा था।
यूनिवर्सिटी परिसर में STF की छापेमारी
STF ने 17 मई को मोनाड यूनिवर्सिटी में छापा मारा और मौके से भारी मात्रा में फर्जी डिग्रियां, मार्कशीट और अन्य दस्तावेज बरामद किए। पुलिस ने करीब पांच घंटे की गहन पूछताछ के बाद आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया।
छात्रों को चेतावनी
इस मामले ने एक बार फिर यह चेताया है कि छात्रों को किसी भी संस्थान में प्रवेश लेने से पहले उसकी मान्यता और वैधता की जांच जरूर कर लेनी चाहिए, वरना समय और पैसे दोनों की भारी बर्बादी हो सकती है।