भारतीय इतिहास में देश का विभाजन एक काला अध्याय है. इसके लिए मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) को सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है. जिन्ना के पिता हिंदू परिवार में पैदा हुए थे. एक नाराजगी के चलते उन्होंने अपना धर्म बदल लिया. वो मुस्लिम बन गए. ताजिंदगी न केवल इसी धर्म के साथ रहे बल्कि उनके बच्चों ने इसी धर्म का पालन किया. बाद में तो मोहम्मद अली जिन्ना ने धर्म के आधार पर पाकिस्तान ही बनवा डाला.
जिन्ना का परिवार मुख्य तौर पर गुजरात के काठियावाड़ का रहने वाला था. गांधीजी और जिन्ना दोनों की जड़ें इसी जगह से ताल्लुक रखती हैं. उनका ग्रेंडफादर का नाम प्रेमजीभाई मेघजी ठक्कर था. वो हिंदू थे. वो काठियावाड़ के गांव पनेली के रहने वाले थे. प्रेमजी भाई ने मछली के कारोबार से बहुत पैसा कमाया. वो ऐसे व्यापारी थे, जिनका कारोबार विदेशों में भी था. लेकिन उनके लोहना जाति से ताल्लुक रखने वालों को उनका ये बिजनेस नापसंद था. लोहना कट्टर तौर शाकाहारी थे और धार्मिक तौर पर मांसाहार से सख्त परहेज ही नहीं करते थे बल्कि उससे दूर रहते थे. लोहाना मूल तौर पर वैश्य होते हैं, जो गुजरात, सिंध और कच्छ में होते हैं. कुछ लोहाना राजपूत जाति से भी ताल्लुक रखते हैं.

मछली के कारोबार ने कराया जाति से बहिष्कार
लिहाजा जब प्रेमजी भाई ने मछली का कारोबार शुरू किया और वो इससे पैसा कमाने लगे तो उनके ही जाति से इसका विरोध होना शुरू हो गया. उनसे कहा गया कि अगर उन्होंने इस बिजनेस से हाथ नहीं खींचे तो उन्हें जाति से बहिष्कृत कर दिया जाएगा. अकबर एस अहमद की किताब जिन्ना, पाकिस्तान एंड इस्लामिक आइडेंटीटी में विस्तार से उनकी जड़ों की जानकारी दी गई है.

जिन्ना के पिता ने धर्म के ऊपर व्यापार चुना
इस बहिष्कार के बाद भी प्रेमजी तो लगातार हिंदू बने रहे लेकिन उनके बेटे पुंजालाल ठक्कर को पिता और परिवार का बहिष्कार इतना अपमानजनक लगा कि उन्होंने गुस्से में पत्नी के साथ अपने चारों बेटों का धर्म ही बदल डाला. वो मुस्लिम बन गए. हालांकि प्रेमजी के बाकी बेटे हिंदू धर्म में ही रहे. इसके बाद जिन्ना के पिता पुंजालाल के रास्ते अपने भाइयों और रिश्तेदारों तक से अलग हो गए. वो काठियावाड़ से कराची चले गए. वहां उनका बिजनेस और फला-फूला. वो इतने समृद्ध व्यापारी बन गए कि उनकी कंपनी का आफिस लंदन तक में खुल गया. कहा जाता है कि जिन्ना के बहुत से रिश्तेदार अब भी हिंदू हैं और गुजरात में रहते हैं.

जिगरी दोस्त की नाबालिग बेटी को देख डोल गया जिन्ना का मन
15 साल की उम्र में मोहम्मद अली जिन्ना की शादी इमीबाई से हुई थी. उस समय इमीबाई की उम्र 14 साल की थी. शादी के एक साल बाद तक जिन्ना अपनी पढ़ाई और पिता के बिजनेस में व्यस्त रहे. फिर इसके बाद वो इंग्लैंड चले गए. कुछ साल बाद जिन्ना की मुलाकात एक युवा पारसी लड़की से हुई जिसका नाम रतनबाई पेटिट था. रतनबाई को रती के नाम से भी जाना जाता था. रतनबाई की उम्र उस समय 16 साल थी और वह मुंबई के एक अमीर व्यक्ति की इकलौती बेटी थीं. जिन्ना रती के पिता के बहुत अच्छे दोस्त थे और उनसे मिलने अक्सर ही उनके घर जाते थे. इस दौरान ही जिन्ना की नजर रती पर पड़ी. रती बेहद खूबसूरत थी, जिसे देखकर जिन्ना का मन डोल गया. पिता से मिलने के बहाने घर गए जिन्ना ने धीरे-धीरे रती का दिल जीत लिया.

रिलेशनशिप की जानकारी पर दोस्त ने जिन्ना को घर से भगा दिया
1916 में जिन्ना ने गर्मियों की छुट्टियों के दो महीने दार्जिलिंग के पेटिट समर निवास में बिताए. यहीं पर रती और जिन्ना के बीच प्यार की शुरूआत हुई. रती जिन्ना को प्यार से जे बुलाती थी. जिन्ना को रति इतनी पसंद थीं कि वह उनसे शादी करना चाहते थे. उस समय जिन्ना की उम्र 40 साल थी. जिन्ना ने जब रति के पिता से शादी की बात कही तो उनके पिता बहुत गुस्सा हुए और जिन्ना को अपने घर से निकाल दिया. इसके बाद भी रती जिन्ना से हमेशा संपर्क में रहीं.

नाबालिग बेटी संबंध पर दोस्त पहुंचा गया कोर्ट
इस बीच सर दिनशॉ ने नाबालिग होने की शर्त पर कोर्ट से ये ऑर्डर हासिल कर लिया कि जिन्ना रती से किसी भी तरह का संबंध नहीं रख सकते. बगावती रती कोर्ट के इस ऑर्डर को मानना नहीं चाहती थीं और जिन्ना से मुलाकात जारी रखना चाहती थीं लेकिन जिन्ना इसके लिए तैयार नहीं थे. जिन्ना ने 18 महीने तक रती से कोई संपर्क नहीं रखा.

बालिग होते ही धर्मांतरण कराकर निकाह, फिर बेटी होने पर फेर लिया मुंह
जैसे ही रति, 18 साल की हुई दोनों की मुलाकात का सिलसिला फिर से शुरू हो गया. दोनों फिर से एक-दूसरे से मिलने लगे. जिन्ना ने पारसी रती का धर्मांतरण कराकर उसे मुसलमान बनाया फिर एक दिन रति और जिन्ना ने जामिया मस्जिद में जाकर निकाह कर लिया. इस पर भी काफी बवाल हुआ. लेकिन इसके बावजूद जिन्ना और रति एक साथ काफी खुश थे. जो कोई भी उन्हें देखता उन दोनों के प्यार का कायल हो जाता. कुछ समय बाद रति ने बेटी को जन्म दिया. जिसका नाम दीना था. बेटी के जन्म के बाद जिन्ना ने रती से दूरी बना ली, और उससे पीछा छुड़ाने की कोशिश करने लग गए.

29 साल की उम्र में निधन
रती हमेशा दुखी और परेशान रहने लगीं. धीरे-धीरे रति और जिन्ना के बीच झगड़े होने लगे. रती की तबीयत बिगड़ने लगी और वह इलाज के लिए अपनी मां के साथ पेरिस चली गई. कुछ ही समय बात रती की तबीयत फिर बिगड़ी और वह कोमा में चली गई जिसके बाद वह कभी नहीं उठीं. 20 फरवरी, 1929 को रती का निधन हो गया, इसी दिन उनका 29वां जन्मदिन था.
Also Read: OPINION: दस लाख हत्या, हजारों बलात्कार, कमजोर कांग्रेस नेतृत्व भारत विभाजन के लिए जिम्मेदार
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )