शिवपाल के ऑफर से धर्मसंकट में मुलायम

 

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव धर्मसंकट में दिख रहे हैं. ये संकट समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के संयोजक और उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव के उस प्रस्ताव के बाद खड़ा हुआ है जिसमें उन्हें न सिर्फ मोर्चा का अध्यक्ष बनने बल्कि उनकी पुरानी लोकसभा सीट मैनपुरी से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया गया है. इस प्रस्ताव के बाद मुलायम के सामने ये धर्मसंकट खड़ा हो गया है की वे अपने बेटे की पार्टी समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ें या भाई के मोर्चे से. फ़िलहाल मुलायम सपा के आज़मगढ़ के सांसद हैं और स्वयं की स्थापित समाजवादी पार्टी में ही स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. जबकि शिवपाल समाजवादी पार्टी के विधायक हैं और अपनी उपेक्षा से दुखी होकर अपना स्वयं का मोर्चा बना चुके हैं.

 

शिवपाल ने कहा कि नेताजी (मुलायम) सभी विवादों से परे हैं। अगर वह किसी अन्य दल से कहीं से भी चुनाव लड़ते हैं मैं उनका समर्थन करता हूं। मैं उनका बेहद सम्मान करता हूं। शिवपाल सेकुलर मोर्चा की लखनऊ में आयोजित बैठक में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि लंबा इंतजार करने के बाद मैंने सेकुलर मोर्चा बनाया है। मुझे सपा की व विधानमंडल की बैठकों में नहीं बुलाया जाता था। इसलिए मजबूरी में ये कदम उठाना पड़ा.

 

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शिवपाल ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में उन्होंने सारे विकल्प खुले रखे हैं और गठबंधन के लिए सपा-बसपा से भी बात कर सकते हैं।
‘भाजपा से जनता की नाराजगी का मिलेगा लाभ’ शिवपाल ने कहा कि भाजपा ने जनता से जो वादे किये थे, वो पूरे नहीं हुए। इसलिए जनता नाराज है और इसका लाभ सेकुलर मोर्चा को मिलेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा से अगड़े-पिछड़े सभी नाराज हैं.

 

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