बांके बिहारी मंदिर (Bake Bihari Mandir) के प्रशासन को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अंतरिम समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया है, जिसे उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath) ने अपनी मंजूरी दे दी है। यह समिति तब तक मंदिर का प्रबंधन संभालेगी जब तक इलाहाबाद हाई कोर्ट, मंदिर में कॉरिडोर निर्माण और अन्य सुविधाओं के लिए लाए गए राज्य सरकार के अध्यादेश पर अंतिम फैसला नहीं सुना देता।
समिति के मुखिया को लेकर यूपी सरकार की शर्त
यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने स्पष्ट किया कि राज्य को समिति के गठन से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन समिति के मुखिया को लेकर एक अहम शर्त रखी गई है। सरकार का कहना है कि समिति का नेतृत्व किसी ऐसे व्यक्ति को सौंपा जाए जो ‘आस्था से सनातनी हिंदू’ हो। इसका अर्थ यह है कि किसी अन्य पंथ, धर्म या मत को मानने वाला व्यक्ति समिति का प्रमुख नहीं बन सकता।
प्रशासन और फंड प्रबंधन की जिम्मेदारी समिति के पास
यह समिति बांके बिहारी मंदिर के प्रशासनिक कामकाज को देखेगी और साथ ही मंदिर के फंड का प्रबंधन भी करेगी। मंदिर के विकास, रख-रखाव और श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर यह समिति फंड खर्च करने की अनुमति रखेगी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाला बागची शामिल हैं, ने इस समिति के गठन पर सहमति जताई है और अब अगला कदम समिति के मुखिया के चयन पर टिका है।