भ्रष्टाचार करने वाले सरकारी अधिकारियों पर लगाम कसने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त रुख अपना रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार ने 312 सरकारी अधिकारियों को काम में लापरवाही बरतने के चलते जबरन रिटायरमेंट दे दिया है. जानकारी के मुताबिक इसमें कई सीनियर तो कई जॉइंट सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी भी मौजूद हैं.
जिन अधिकारियों को रिटायरमेंट दी गई है उनमें ग्रुप A के 125 और ग्रुप B के 187 अधिकारी शामिल हैं. दरअसल इस मामले में 2014 से लकेर 2019 तक रिव्यू किया गया था. ये रिव्य़ू ग्रुप A के 36000 और ग्रुप B के 82000 हजार अफसरों पर हुआ था जिसमें से अब 312 अधिकारियों की कार्यशैली में लापरवाही को देखते हुए उन्हें हटा दिया गया है.
सरकार ने लोकसभा में जबरन रिटायरमेंट पर जवाब देते हुए कहा, लागू अनुशासनात्मक नियम के अनुसार सरकार के पास उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने का अधिकार है. सरकार को पूर्ण अधिकार है कि वह सार्वजनिक हित को देखते हुए सत्यनिष्ठा की कमी और लापरवाही दिखाने वाले अफसरों पर मौलिक नियमों के प्रावधान (एफआर) 56 (j) (i), केंद्रीय सिविल सर्विस के नियम 48, पेंशन नियम 1972 और सिविल सेवा नियम 16 (3) (संशोधित) के तहत कार्रवाई कर सकती है.ये नियम सरकार की सेवाओं की समय-समय पर समीक्षा और समय से पहले सेवानिवृत्ति की नीति निर्धारित करते हैं.
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भी जीरो टॉलरेंस की नीति पर सख्ती से अमल करते भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई की थी जिसमें दो साल के भीतर 600 से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी. इनमें से 200 अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट दिया गया था, जबकि 400 से ज्यादा अधिकारियों को बृहद दंड दिया गया है.
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