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गाँधी के आन्दोलनों से प्रभावित रहने वाले नाथूराम गोडसे ने आखिर क्यों की उनकी हत्या ?

Nathuram Godse

आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 74 वीं पुण्यतिथि है. गांधी जी ने देश के लिए जो किया वह देश सदियों तक याद रखेगा. उनके आदर्शों, अहिंसा की प्रेरणा, सत्य की ताकत ने अंग्रेजों को भी झुकने को मजबूर कर दिया। उनके इसी योगदान के कारण गांधीजी आज महात्मा गांधी के नाम से जाने जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी को गोली मारने वाले नाथूराम गोडसे पहले बापू के अनुयाई थे. पर, ऐसा क्या हुआ कि महात्मा गांधी से प्रेरित गोडसे ने ही उन्हें गोली मारी, आज हम इसके पीछे की वजह आपको बताने जा रहे हैं.

क्यों पड़ा नाथूराम गोडसे नाम?

नाथूराम का असली नाम रामचंद्र गोडसे था. गोडसे का नाम नाथूराम पड़ने के पीछे भी एक कहनी है कि नाथूराम को बचपन में उनके माता पिता ने किसी अंधविश्वास के चलते उन्हें नथ पहना दी थी जिसके बाद से ही उनका नाम नाथूराम पड़ गया.

 

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बेहद ‘सहज’ और ‘सौम्य’ थे नाथूराम

गोडसे के भाई गोपाल दास गोडसे ने एक किताब लिखी जिसका नाम है ‘मैनें गांधी को क्यों मारा?’ गोपाल गोडसे ने अपनी किताब में दब गांधी के पुत्र देवदास गोडसे से मिलने जेल पहुंचे थए तो लिखा है, ‘देवदास (गांधी के पुत्र) शायद इस उम्मीद में आए होंगे कि उन्हें कोई वीभत्स चेहरे वाला, गांधी के खून का प्यासा कातिल नजर आएगा, लेकिन नाथूराम बेहद सहज और सौम्य थे. उनका आत्म विश्वास बना हुआ था. देवदास ने जैसा सोचा होगा, उससे एकदम उलट.’

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गांधी से थे प्रेरित फिर क्यों की हत्या?

लंबे समय से ‘राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ’ के सदस्य रहे नाथूराम को गांधी की हत्या करने के चलते उसे 15 नवम्बर 1949 को फांसी दी गई. भले ही नाथूराम ने गांधी का हत्या की थी लेकिन इससे पहले वो उनके विचारों से बेहद प्रभावित थे. यहाँ तक कि उनका खुद कहना था कि आजादी की लड़ाई में सावरकर के बाद गांधी जी के ही विचारों ने मुल्क को आजाद कराया है. लेकिन इसके बाद भी नाथूराम गांधी की हत्या का कारण क्यों बना इस पर अलग कहानी है.

नाथूराम ने अपनी आखिरी भाषण में कहा था कि ‘मेरा पहला दायित्व हिंदुत्व और हिंदुओं के लिए है, एक देशभक्त और विश्व नागरिक होने के नाते. 30 करोड़ हिंदुओं की स्वतंत्रता और हितों की रक्षा अपने आप पूरे भारत की रक्षा होगी, जहां दुनिया का प्रत्येक पांचवां शख्स रहता है. इस सोच ने मुझे हिंदू संगठन की विचारधारा और कार्यक्रम के नजदीक किया. मेरे विचार से यही विचारधारा हिंदुस्तान को आजादी दिला सकती है और उसे कायम रख सकती है.’

 

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नाथूराम का कहना था कि वो गांधी से प्रेरित थे, लेकिन उन्होंने देश का बंटवारे में अहम भूमिका निभाई और मुसलमानों का साथ दिया और इसके एवज में उन्होंने ना जाने कितने ही हिंदू भेंट चढ़ गए. वास्तव में नाथूराम गांधी की मुस्लिम तुष्टीकरण की विचारधारा से नफरत करते थे जोकि शायद संघ की विचारधारा को सुहाती नही थी इसलिए उसने प्रेरित होकर उन्होंने गांधी की हत्या की.

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बापू के बेटे से कहा था, ‘मुझे दुख है तुमने पिता खोया’

बापू की हत्या के बाद नाथूराम गोडसे जेल में मिलने महात्मा गांधी के पुत्र देवदास गांधी गए थे. उनसे गोडसे ने कहा था कि तुम्हारे पिताजी की मृत्यु का मुझे बहुत दुख है. नाथूराम ने देवदास गांधी से कहा, मैं नाथूराम विनायक गोडसे हूं. आज तुमने अपने पिता को खोया है. मेरी वजह से तुम्हें दुख पहुंचा है. तुम पर और तुम्हारे परिवार को जो दुख पहुंचा है, इसका मुझे भी बड़ा दुख है. कृपया मेरा यकीन करो, मैंने यह काम किसी व्यक्तिगत रंजिश के चलते नहीं किया है, ना तो मुझे तुमसे कोई द्वेष है और ना ही तुम्हारे या किसी और प्रति कोई खराब भाव है.

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