रोजगार पर योगी के लिए संकटमोचक साबित हुए नवनीत सहगल, इनोवेशन में माने जाते हैं माहिर

“काम कोई भी हो, मैं पूरी लगन और रुचि के साथ श्रेष्ठतम करने का प्रयास करता हूं, क्योंकि मेरा काम ही मेरी शोहरत है. इसके अलावा जिसने काम दिया है उसके प्रति जवाबदेही भी रखता हूं, क्योंकि काम के साथ मुझे भरोसा भी सौंपा गया है”..सरसरी नजर में पढ़के आप कोई फिल्मी संवाद समझकर आगे बढ़े जाएं उससे पहले ही बता दें कि यह किसी पटकथा का अंश नहीं बल्कि किसी के जीवन का मूल मंत्र है. जी, हां! वह कोई और नहीं बल्कि योगी सरकार में माइक्रो एंड स्मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज ( एमएसएमई) और खादी ग्रामउद्योग विभाग के साथ सूचना विभाग का भी जिम्मा संभाल रहे सीनियर ब्यूरोक्रेट नवनीत सहगल (Navneet Sehgal) हैं.


फर्स्ट अटेम्पट में यूपीएससी क्रैक करने वाले पंजाब के फरीदकोट में जन्मे नवनीत सहगल को कई उपमाएं दी जाती हैं. कोई उन्हें ‘सदाबहार सहगल’ कहता है, तो कुछ को वो ‘क्राइसिस मैनेजर’ लगते हैं. दरअसल इन उपमाओं के पीछे सहगल की अनूठी सख्शियत है. आमतौर पर होता है कि पिछली सरकारों में जो अफसर आलाकमान के बेहद करीब होता है उसे दूसरी सरकारें अपनी टीम में जगह देने से कतराती हैं. वहीं इस रिवाज को लंबे कदम वाले डैशिंग नवनीत सहगल ने तोड़ा है. कहा जाता है कि सहगल में सिविल सेवाओं में वो ख़ूबियां हैं कि यूपी की कोई भी सरकार इस आलाधिकारी की कार्यकुशलता का लाभ लेना चाहती है. यही कारण है कि देर सबेर वे हर सरकार के भरोसेमंद हो जाते हैं. फिर चाहें बसपा, सपा हो या भाजपा सहगल को सरकारों की आंखों का तारा बनने में देर नहीं लगती.


कुर्सी पर बैठने वाले की नहीं बल्कि कुर्सी के प्रति निष्ठा रखने वाले नवनीत सहगल का मानना है कि किसी भी नौकरशाह के लिए सरकार का एजेंडा गीता और रामायण सरीखा होता है. उस एजेंडे को समय से पूरी पारदर्शिता के साथ जमीन पर उतारना हम जैसे लोगों का फर्ज है. यही हमारे मूल्यांकन का भी आधार है. यही ब्रिटेन में भी है. हमारा संविधान भी काफी हद तक ब्रिटेन से प्रभावित है. मेरा काम ही मेरी शोहरत है. इसके अलावा जिसने काम दिया है उसके प्रति जवाबदेही भी रखता हूं, क्योंकि काम के साथ मुझे भरोसा भी सौंपा गया है. मेरे काम से मैं खुद और जिसके लिए काम कर रहा हूं, दोनों जुड़े हैं. ऐसे में खुद को साबित करने के लिए कुछ अलग करना होता है. अगर ऐसा नहीं कर सका तो मेरे होने का कोई मतलब नहीं है.


2017 में भाजपा सत्ता में आई और योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने थे. योगी आदित्यनाथ की ब्यूरोक्रेसी में कई बड़े बदलाव हुए, वे अपने पास एक नई ब्यूरोक्रेटिक टीम चाहते थे. सहगल को साइड में कर दिया गया. इसके बाद एक्सप्रेस वे के निर्माण में खराब गुणवत्ता का पता लगाने के लिए एक कदम उठाया गया. इसमें भ्रष्टाचार उजागर नहीं होने के बाद सहगल को खादी और ग्रामीण इण्डस्ट्री दिया गया, वहां से उन्हें MSME विभाग भी मिला. इससे उन्हें बड़े टेबल पर आने में मदद मिली. इनोवेशन में माहिर माने जाने वाले सहगल को एक जिला एक उत्पाद के रूप में काम करने का मौका मिला. ओडीओपी को चमकाकर सहगल धीरे-धीरे सीएम योगी का भरोसा जीतते गए.


देश और प्रदेश में लॉकडाउन लागू होते ही छोटे-बड़े सभी उद्योग तो करीब करीब बंद हो गए थे. श्रमिकों का पलायन होने लगा था. यह सब देखते हुए बीती 4 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर उच्चाधिकारियों के साथ बैठक करते हुए दूसरे प्रदेशों से यूपी लौट रहे मजदूरों और अन्य लोगों के लिए राज्य में ही रोजगार के अवसर प्रदान करने का निर्देश दिया. ऐसे में सरकार निगाह एमएसएमई पर पड़ी. विभाग का जिम्मा संभाल रहे नवनीत सहगल रोजगार सृजन के लिए जुट गए.


रोजगार मुहैया कराने के मामले में ‘एक जनपद एक उत्पाद योजना’ (ओडीओपी) गेम चेंजर साबित हुई है. राज्य के हर जिले में आत्मनिर्भर पैकेज के जरिये लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के लिए मदद मिली. एमएसएमई विभाग की ओडीओपी योजना में लोगों को रोजगार मिला. एमएसएमई विभाग के आंकड़ों के अनुसार बीते आठ महीनों में प्रदेश में 6,65,740 नई इकाइयां शुरू हुईं, जिसमें कुल 26,62,960 लोगों को रोजगार मिला है. इन आंकड़ों में 2,57,348 श्रमिक ऐसे हैं जिन्हें पहले से चल रही इकाइयों में ही रोजगार मिला है.


नवनीत सहगल द्वारा नीव रखे गए ओडीओपी के प्रोडक्ट आज अमेजन पर बिक रहे हैं. उत्पाद देश-विदेश में लोगों को खूब भा रहे हैं. यहां तक प्रधानमंत्री मोदी को भी एक जिला एक उत्पाद योजना पसंद आई. अब केंद्र सरकार भी ओडीओपी को अपनाने जा रही है. सरकार इसके जरिए किसानों की आय दोगुनी करने की योजना बना रही है. इतना ही नहीं आज कई नामचीन बॉलीवुड हस्तियां यूपी के ओडीओपी को फैशन इंडस्ट्री की पहचान बनाना चाहते हैं. रीना ढाका, ऋतु बेरी, मनीष मल्होत्रा और जेजे बलाया जैसे प्रोफेशनल फैशन डिजायनर इस दिशा में कदम भी आगे बढ़ा चुके हैं.


जानकार कहते हैं कि नवनीत सहगल की दूरदर्शिता और सरकार की मंशा पूरी करने की क्षमता कुछ ऐसी है जो उन्हें अपने प्रतिस्पर्धा वाले लोगों से आगे खड़ा करती है. साढ़े 6 फुट लंबा यह अधिकारी उन दूसरे अधिकारियों के लिए मिसाल है जो प्राइम पोस्टिंग के लिए सारे तिकड़म लगाते रहते हैं जबकि अच्छे अधिकारियों को काम करने के लिए अच्छे विभाग की जरूरत नहीं पड़ती. ऐसे ही लोगों पर वसीम बरेलवी की ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं, “जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटाएगा, किसी चराग का अपना मकां नहीं होता.”


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