Navratri 2020: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से इंद्रियों पर मिलती है विजय, इस चक्र पर लगाएं ध्यान, जानें संपूर्ण पूजा विधि, मंत्र

आज नवरात्रि (Navratri 2020) का दूसरा दिन है और आज का दिन मां ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini) को समर्पित है. जैसा कि मां के नाम में ही शोभित है, ब्रह्मचारिणी यानी कि ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली देवी. मां ब्रह्मचारिणी के हाथों में अक्षमाला और कमंडल सुसज्जित हैं. मां यह स्‍वरूप आपको ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए प्रेरित करता है. मान्‍यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की सच्‍चे मन से पूजा करने से भक्‍त को सदाचार, एकाग्रता, धैर्य, संयम और सहनशीलता प्राप्‍त होती है.


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्म का मतलब होता है तपस्या और चारिणी मतलब होता है आचरण करना. मान्यता के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. यही वजह है कि उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला है और देवी ने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि विधान से देवी के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करता है, उसकी कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है. संन्यासियों के लिए देवी की पूजा विशेष रूप से फलदायी है. आइए जानते हैं नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए करें किस मंत्र का जाप और किस तरह करें मां की पूजा अर्चना.


मां ब्रह्मचारिणी इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण भी इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है. विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है. जिन लोगों का स्वाधिष्ठान चक्र कमजोर हो उनके लिए भी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत अनुकूल होती है.


स्वाधिष्ठान चक्र के कमजोर होने पर क्या होता है?

व्यक्ति के अंदर अविश्वास रहता है. ऐसे लोगों को हमेशा बुरा होने का भय होता है. ऐसे लोग कभी कभी काफी क्रूर होते हैं. साथ ही कभी कभी बहुत कामुक होते हैं.


स्वाधिष्ठान चक्र को मजबूत करने के लिए क्या करें?

रात्रि को सफेद वस्त्र धारण करें. सफेद आसन पर बैठें तो उत्तम होगा. इसके बाद देवी को सफेद फूल अर्पित करें. पहले अपने गुरु का स्मरण करें. इसके बाद आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाएं. ध्यान के बाद देवी या अपने गुरु से स्वाधिष्ठान चक्र को मजबूत करने की प्रार्थना करें.


मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना के लिए पढ़ें ये मंत्र:


या देवी सर्वभू‍तेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..



मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि:


नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान के बाद सफेद अथवा पीले रंग का कपड़े धारण करें. इसके बाद पूजा घर की साफ सफाई कर नवरात्र के लिए स्थापित किए गए कलश में मां ब्रह्मचारिणी का आह्वान करें. मां को सफ़ेद रंग की पूजन सामग्री मिश्री, शक्कर या पंचामृत अर्पित करें. घी का दिया जलाकर मां की प्रार्थना करें. दूध, दही, चीनी, घी और शहद का घोल बनाकर मां को स्नान करवाएं. मां की पूजा करें और उन्हें पुष्प, रोली, चन्दन और अक्षत अर्पित करें. इसके बाद बाएं हाथ से आचमन लेकर दाएं हाथ पर लेकर इसके ग्रहण करें. हाथ में सुपारी और पान लेकर संकल्प लें. इसके बाद नवरात्र के लिए स्थापित कलश और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें.


मां ब्रह्मचारिणी कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां नव दुर्गा का दूसरा स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी देवराज हिमालय और मैना की पुत्री हैं. इन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर भगवान शंकर की ऐसी कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया. जिसके फलस्वरूप यह देवी भगवान भोले नाथ की वामिनी अर्थात पत्‍‌नी बनी. जो व्यक्ति अध्यात्म और आत्मिक आनंद की कामना रखते हैं उन्हें इस देवी की पूजा से सहज यह सब प्राप्त होता है. जो व्यक्ति भक्ति भाव एवं श्रद्धादुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं उन्हें सुख, आरोग्य की प्राप्ति होती है और प्रसन्न रहता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है.


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