केंद्र सरकार ने ऑनलाइन ऑडियो-विजुअल कंटेंट प्रोवाइड करने वाले सभी प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की निगरानी के दायरे में शामिल कर लिया है। अब ऐसे में नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, हॉट स्टार जैसे ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म के कंटेंट पर सरकार की नजर रहेगी।
इस फैसले के बाद आशंका जताई जा रही है कि नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, डिज्नी हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफार्म पर कंटेंट के नाम पर नग्नता और हिंसा दिखाने पर लगाम लगेगी। दरअसल, इस तरह के प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को लेकर कोई कानून नहीं था। इस वजह से इन प्लेटफॉर्म्स पर अत्यधिक हिंसा से लेकर नग्नता तक सब कुछ परोसा जा रहा था।
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इन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध कराए जा रहे कंटेंट को लेकर अदालतों में याचिकाएं दाखिल हो रही थी और सरकार से इनकी निगरानी की मांग की जा रही थी। वेबसीरीज में दर्शकों को बिना किसी नियंत्रण के फ्रीडम से बनाया हुआ कंटेंट उपलब्ध होता था, जिस वजह से उन्हें काफी पसंद किया जाता है।
हालांकि, अब कंटेंट निर्माताओं को कंटेंट बनाने के बाद सरकारी गाइडलाइंस का पालन करना पड़ेगा, जिसके तहत ही कंटेंट बनाना होगा। हो सकता है कि फिल्मों की तरह वेब शो के लिए सेंसर बोर्ड जैसे सर्टिफिकेट की आवश्यकता हो सकती है और इससे कई सीनों पर कैंची चलना लाजमी है।
वहीं, सरकार के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। लेखकों और निर्देशकों के एक बड़े तबके का कहना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाए जाने से वैश्विक स्तर पर भारतीय कंटेंट क्रिएटर्स को नुकसान हो सकता है। फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर आघात बताया है।
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