DELHI:नए आयकर विधेयक 2025 में आयकर अधिकारियों को करदाताओं के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स, जैसे ईमेल, सोशल मीडिया खाते, ऑनलाइन ट्रेडिंग और बैंक खाते, तक पहुँचने के व्यापक अधिकार प्रस्तावित किए गए हैं। यह विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम को सरल और अद्यतन करने के उद्देश्य से पेश किया गया है, जिसमें प्रावधान है कि तलाशी के दौरान अधिकारी करदाताओं के वर्चुअल डिजिटल स्पेस, जिसमें ईमेल सर्वर, बैंकिंग और ट्रेडिंग खाते, सोशल मीडिया और क्लाउड सर्वर शामिल हैं, तक पहुँच सकते हैं।
यदि करदाता इन रिकॉर्ड्स तक पहुँच प्रदान करने से इनकार करते हैं, तो अधिकारी सिस्टम को ओवरराइड करने का अधिकार रखते हैं। विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि स्पष्ट सुरक्षा उपायों के बिना, ये व्यापक अधिकार करदाताओं के व्यक्तिगत डेटा की अनावश्यक जांच या उत्पीड़न का कारण बन सकते हैं, इसलिए डिजिटल अधिकारों और गोपनीयता की रक्षा के लिए संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है।
इसके अतिरिक्त, नए विधेयक में 536 धाराएँ, 23 अध्याय और 16 अनुसूचियाँ शामिल हैं, जो 622 पृष्ठों में विस्तृत हैं। इसका उद्देश्य पुराने कानून से अप्रासंगिक प्रावधानों को हटाना, कानूनी विवादों को कम करना और कर अनुपालन में सुधार करना है। यह विधेयक वर्तमान में संसदीय चयन समिति द्वारा समीक्षा के लिए भेजा गया है और इसके अप्रैल 2026 से लागू होने की उम्मीद है।
इन प्रावधानों के तहत, आयकर अधिकारी अज्ञात आय की जांच के दौरान लॉकर और तिजोरियाँ भी खोल सकेंगे, जिससे कर चोरी के मामलों में सख्ती से निपटा जा सकेगा। हालांकि, इन नए अधिकारों के कार्यान्वयन में करदाताओं की गोपनीयता और डिजिटल अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
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