New Parliament Inaugration: भारत के नए संसद भवन का रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधिकारिक तौर पर उद्घाटन किया. देश को अब नई संसद भवन मिल गई है जिसे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है. यूं तो इस इमारत और इस परियोजना को लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं, लेकिन नए संसद भवन की विशेषताओं को लेकर लोगों में खासा कौतूहल भी है. वे इसमें सुविधाओं के अलावा इमारत की लागत, उसमें इस्तेमाल की गई सामग्री, उसकी बनावट और यहां तक कि उसके वास्तु तक के पहलुओं के बारे में जानना चाहते हैं. आइए जानते हैं कि देश के नए संसद भवन की इमारत कैसी और इसकी क्या क्या बातें इसे खास बना रही हैं.
किन इमारतों से गिरा है भवन
इस इमारत की सबसे खास बात इसकी डिजाइन है. सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के हिस्से के तहत विकसित की गई इस इमारत को वास्तुविद बिमल पटेल ने डिजाइन किया है. देश के वर्तमान राष्ट्रपति भवन से 750 मीटर की दूरी पर स्थति यह भवन संसद मार्ग पर स्थति है और यह विजय चौक, इंडिया गेट, नेशनल वार मेमोरियल, और अन्य इमारतों से घिरा है.
केवल लोकसभा ही बहुत विशाल
इस इमारत की खास बात है इसका विशाल क्षेत्रफल जो कि कुल 64500 वर्ग मीटर है. इसमें लोकसभा के लिए 888 सीटें हैं जबकि राज्यसभा की 384 सीटें हैं. अभी वर्तमान लोकसभा की 543 सीटें और राज्यसभा की केवल 250 सीटें ही हैं, फिर भी लोकसभा के कक्ष में सीटों की संख्या 1272 तक बढ़ाने का विकल्प है. लोकसभा का कक्ष संसद के संयुक्त अधिवेशन चलाया जा सके इसके लिए भी तैयार किया गया है. यानि वर्तमान संसद भवन की तरह इसमें सेंट्रल हॉल नहीं है.
वास्तु के नियमों का भी ध्यान
इस इमारत का सबसे बड़ा आकर्षण है इसका त्रिकोणीय आकार है. इस आकार की वजह इसका प्लॉट है. यह आकार विभिन्न धर्मों के लिहाज से पवित्र ज्यामिति के अनुकूल है. इसके साथ ही इसमें भारतीय संस्कृति के वास्तुशास्त्र के नियमों का भी ध्यान रखा गया, जिसकी वजह से यहां के प्रवेश द्वारा, कमरों के आकार यहां तक कि तमाम जानवरों की मूर्तियों को लगाते समय भी उनका ध्यान रखा गया है.
पर्यावरण के कितने अनुकूल
नए भवन की डिजाइन में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि वह पर्यावरण के अनुकूल हो. इसके निर्माण में ग्रीन तकनीकों का उपयोग किया गया है. पुरानी संसद से बड़ी होने के बाद भी इसमें बिजली की खपत में करीब 30 फीसद की कमी आ जाएगी. इसके साथ ही इसमें रेनवाटर हार्वेस्टिंग और वाटर रीसाइक्लिंग सिस्टम लगाए गए है और इसे अगले 150 साल की जररूतों के मुताबिक डिजाइन किया गया है.
भूकंपरोधी इमारत
इतना ही नहीं इसे बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि यह इमारत भूकंप से खराब ना हो. बिल्डिंग कोड के मुताबिक दिल्ली का इलाका सीज्मिक जोन 5 के दायरे में आता है. इसलिए इसे भूकंपरोधी बनाने में खास ख्याल रखा गया है. वर्तमान संसद भवन के बारे में यह दलील जाती रही है कि वह भूकंप के झटकों को झेलने में पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं है.
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