उत्तर प्रदेश की योगी सरकार विधानसभा चुनाव से पहले 2 और शहरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम (Police Commissionerate System) लागू कर सकती है। 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में यह सिस्टम लागू करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने प्रदेश के 4 शहरों में इस सिस्टम को लेकर समीक्षा के निर्देश दिए हैं।
br>सीएम योगी के निर्देश पर हाल ही में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी व डीजीपी मुकुल गोयल ने मौजूदा पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम वाले शहरों लखनऊ, नोएडा, वाराणसी और कानपुर की समीक्षा की। इसके बाद से डीजीपी खुद बारी-बारी से इन शहरों की समीक्षा कर रहे हैं। यहां से मिल रहे पॉजिटिव रिजल्ट्स को देखते हुए गाजियाबाद, प्रयागराज, आगरा और मेरठ में भी इस सिस्टम को लागू करने पर विचार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले इनमें से कम से कम 2 शहरों में यह सिस्टम लागू हो जाएगा।
br> br>जानकारी के अनुसार, पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम गाजियाबाद में लागू करना लगभग तय माना जा रहा है। इसका मुख्य कारण शहर का एनसीआर का क्षेत्र होना है। दिल्ली व इसके आसपास के अन्य राज्यों के सभी प्रमुख शहरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू है। केवल गाजियाबाद में यह नही है और अब इस सिस्टम की यहां मांग की जा रही है। हाईकोर्ट व आबादी के लिहाज से बड़े शहर प्रयागराज में भी इस सिस्टम की जरूरत बताई जा रही है। इसी तरह मेरठ व आगरा आबादी के हिसाब से बड़े शहरे हैं। लेकिन गाजियाबाद व प्रयागराज में इस सिस्टम की खासी आवश्यकता बताई जा रही है।
br>इसे लेकर सीनियर अफसरों का कहना है कि प्रदेश के जिन चार शहरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ है, वहां पुलिस के बारे में लोगों की धारणा में बदलाव आया है। अपराध में भी कमी आई है। इसका सबसे बड़ा असर कार्रवाई पर पड़ा है। लोगों की सुनवाई के लिए अधिकारियों की संख्या बढ़ गई है। अधिकारियों द्वारा एक-एक चीज पर मॉनिटरिंग की जा रही है। आम जन से संबंधित मामलों के निस्तारण में भी तेजी देखने को मिली है। वहीं, निचले स्तर पर जवाबदेही तय की जा रही है।
br> br>क्या हैं इस प्रणाली के फायदे
br>कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को डीएम आदि अधिकारियों के फैसले के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस खुद किसी भी स्थिति में फैसला लेने के लिए ज्यादा ताकतवर हो जाएगी। जिले की कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसलों को लेने का अधिकार कमिश्नर के पास होगा। होटल के लाइसेंस, बार के लाइसेंस, हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार भी इसमें शामिल होगा। धरना प्रदर्शन की अनुमति देना ना देना, दंगे के दौरान लाठी चार्ज होगा या नहीं, कितना बल प्रयोग हो यह भी पुलिस ही तय करती है। जमीन की पैमाइश से लेकर जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण का अधिकार भी पुलिस को मिल जाएगा।
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