यूपी में चुनावी सरगर्मी के बीच पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल और हिंदुस्तान के बंटवारे के कसूरवार मोहम्मद अली जिन्ना (Mohammad Ali Jinnah) को लेकर सियासत एक बार फिर गर्मा गई है. सपा चीफ अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के बाद अब हाल में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) का ‘जिन्ना प्रेम’ जगा है. ओमप्रकाश राजभर ने विवादित बयान देते हुए कहा है कि अगर जिन्ना देश के पहले PM होते तो बंटवारा नहीं होता.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने वाराणसी में विवादित बयान देते हुए मीडिया से कहा कि ‘जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाया गया होता तो देश का बंटवारा नहीं होता. लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी भी जिन्ना की तारीफ करते थे. भाजपा में से यदि मुसलमान हटा दीजिए, भारत-पाकिस्तान हटा दीजिए, मंदिर मस्जिद हटा दीजिए तो भाजपा की जुबान बंद हो जाती है.’
एक कहावत है- खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।
जब से ओम प्रकाश सपा में शरणागत हुए हैं, उतना ही बोलते हैं, जितना अखिलेश सिखाते हैं।
चुनाव आते-आते ओम प्रकाश जी अपनी पार्टी का विलय सपा में कर दें तो कोई आश्चर्य न होगा! pic.twitter.com/8lLdmMujpj
— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) November 10, 2021
सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर ने अपने और मुख्तार अंसारी के रिश्ते पर कहा कि उनका रिश्ता 19 सालों से है. मुख्तार अंसारी के साथ चुनावी गठबंधन पर कहा अभी घोषणा होने दीजिए, इसकी अभी कोई चर्चा नहीं है. ओपी राजभर ने कहा कि बीजेपी के पास बहुमत से दो सीटें घट जाएं और उन्हें पता चलेगा कि मुख्तार अंसारी के पास दो विधायक हैं तो बीजेपी वाले जाकर उनके पैर को पकड़ लेंगे.
बता दें कि हाल ही में 31 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने हरदोई में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि लौह पुरुष सरदार पटेल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना ने एक ही संस्थान में पढ़ाई की. इसके बाद वो बैरिस्टर बने. वो भारत की आजादी के लिए लड़ने से कभी पीछे नहीं हटे, उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी. विरोधी दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नेताओं के जिन्ना प्रेम को चुनावी लाभ के लिए धार्मिक तुष्टीकरण की राजनीति का परिणाम बताया था.
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