गुजरात के अहमदाबाद से ब्रिटेन के लंदन स्थित गैटविक एयरपोर्ट जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट 171 गुरुवार को अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास दुर्घटना का शिकार हो गई। इसे भारत के किसी यात्री विमान के साथ हुई सबसे बुरी दुर्घटना माना जा रहा है। यह हादसा चौंकाने वाला इसलिए भी रहा, क्योंकि बोइंग के इस 787 ड्रीमलाइनर विमान की गिनती दुनिया के सबसे सुरक्षित विमानों में होती है। इस हादसे से एक्सपर्ट्स भी अचंभित हैं क्योंकि सामान्य स्थिति में, जैसे ही विमान उड़ान भरता है, कुछ ही सेकंड में पायलट लैंडिंग गियर को ऊपर कर देता है, ताकि विमान हवा में आसानी से गति पकड़ सके। लेकिन इस हादसे में विमान के पहिए (लैंडिंग गियर) नीचे ही देखे गए, जिसने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।
इसमे तीन मुख्य बिन्दु सामने आये है
- कई एयरोस्पेस सुरक्षा सलाहकार ने इस स्थिति को असामान्य बताया। उनके मुताबिक, “अगर उड़ान के शुरुआती चरण में लैंडिंग गियर नीचे ही हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि पायलट को किसी तकनीकी खराबी की आशंका हो गई थी । शायद वह विमान को तुरंत वापस रनवे पर लाने की तैयारी में थे ।” ऐसी स्थिति में पायलट जानबूझकर गियर नीचे रख सकते है।
- कई और एयरोस्पेस सलाहकारो का एक और अनुमान भी सामने आ रहा है जिसके अनुसार, अधिकांश वाणिज्यिक विमानों में लैंडिंग गियर को तब तक नीचे रहता है जब तक विमान 1000 फीट की ऊंचाई तक नहीं पहुंच जाता। ऐसे में यदि AI‑171 के लैंडिंग गियर 600 फीट पर भी नीचे थे, तो यह असामान्य नहीं कहा जा सकता और जरूरी नहीं कि यही दुर्घटना की वजह हो।
- कुछ विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि पायलट को पता चल चुका था शायद की दुर्घटना हो सकती है इस स्थिति में अगर प्लेन नीचे जाएगा तो शायद वो कुछ हद तक प्लेन को बचने में कामयाब हो सके
- हालांकि विशेषज्ञों में इस विषय पर मतभेद है, पर यह स्पष्ट है कि यह पहलू जांच का अहम हिस्सा बना हुआ है। डीजीसीए (DGCA) और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां ब्लैक बॉक्स डेटा और उड़ान से जुड़े तकनीकी आंकड़ों की जांच कर रही हैं। अंतिम निष्कर्ष रिपोर्ट आने के बाद ही सामने आयेगी
- इस बीच, कई जानकार मानते हैं कि लैंडिंग गियर नीचे होना एक संभावित चेतावनी का संकेत था, जो हादसे की कड़ी में एक मुख्य भूमिका निभा सकता है
Input- Ramakrishna Shukla