पुण्यतिथि विशेष: गैंगरेप के बदले की आग ने बना दिया डकैत, चंबल बीहड़ों से संसद तक, ऐसा रहा Phoolan Devi का सफर

बीहड़ और चंबल (Beehad and Chambal) के एक छोटे से गांव में मल्लाह के आंगन में एक बेटी ने जन्म लिया. मां ने अपनी लाडो का नाम फूलन देवी (Phoolan Devi) रखा. मासूम फूलन देवी जब हंसती तो आसपास इसकी गूंज सुनाई देती पर एक हादसे ने उसकी दुनिया बदल दी. फूलन देवी खुंखार डकैत बन गई और हाथ में दुनाला बंदूक व बदन पर बागी वर्दी बहन कर चंबल में उतर गई. बीहड़ पट्टी से लेकर पूरे चंबल के चप्पे-चप्पे तक उसके नाम मात्र से ही अच्छे-अच्छों की हवा ढीली हो जाती. आमजनों से लेकर लालाजनों तक सब उससे खौफजदा थे. लेकिन जिस मकसद के लिए वह बागी बनीं उसका बदला लेने का वक्त भी आ गया. कानपुर के बेहमई गांव (Behmai Village) में फूलन ने धावा बोल दिया. क्षत्रीय समाज के लोगों को लाइन पर खड़ा कर लालाराम को बाहर आने को ललकारा, पर वो बाहर नहीं आया तो डकैतन ने 21 लोगों के सीने में गोलियां दाग मौत के नींद सुला दी और यहीं से फूलन बैंडिड क्वीन बन गई.


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मात्र 11 साल की उम्र में हुई थी शादी

दस्यू सुंदरी और बैंडिट क्वीन (Bandit Queen) के नाम से जानी जाने वाली फूलन देवी जब मात्र 11 साल की थीं, तभी फूलन के चचेरे भाई ने उनकी शादी पुट्टी लाल नाम के एक बूढ़े आदमी से करवा दी. फूलन अपने पति से उम्र में काफी छोटी थी, जिसके चलते फूलन का पति उन्हें प्रताड़ित करने लगा और आए दिन उनका रेप (Rape) करता. ऐसे में अपने पति से तंग आकर फूलन ने अपने पति का घर छोड़ दिया और अपने माता- पिता के साथ आकर रहने लगीं.


Inside Story Of Bandit Phoolan Devi Surrender In 1983- Inext Live

तीन हफ्तों तक हुआ बलात्कार

फूलन देवी जब 15 साल की थीं, तब गांव के ठाकुरों ने उनके माता-पिता के सामने उनका गैंगरेप (Gangrepe) किया, जिसके बाद फूलन देवी ने हर जगह न्याय की गुहार लगाई, लेकिन उनके हाथ निराशा के अलावा कुछ नहीं लगा. ऐसे में नाराज दबंगों ने एक दस्यु गैंग से कहकर फूलन का अपहरण करवा दिया. इस दौरान डकैतों ने लगातार 3 हफ्तों तक फूलन देवी का रेप किया. जानकारों की मानें तो हालातों ने फूलन देवी को बहुत कठोर बना दिया था.


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अपने जुल्मों का बदला लेने के लिए बनाया गिरोह

अपने ऊपर हुए सितम के चलते फूलन देवी ने अपना एक अलग गैंग बनाया और 14 फरवरी 1981 को बहमई में फूलन ने एक लाइन में खड़ा करके 22 ठाकुरों की हत्या कर दी. इस घटना पर फूलन देवी का कहना था कि ठाकुरों ने उनके साथ रेप किया और उन्होंने इसी का बदला उनसे लिया है. उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है.


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इंदिरा गांधी के कहने पर कर दिया सरेंडर

1983 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की सरकार ने उन्हें आत्मसमर्पण (Surrender) के लिए कहा, साथ ही मृत्युदंड न देने का भी भरोसा दिलाया. जिसके बाद फूलन देवी ने मध्य प्रदेश में 10 हजार जनता और 300 पुलिसकर्मियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.


जब फूलन देवी के सरेंडर के लिए एसपी ने इकलौते बेटे को दांव पर लगा दिया था...

8 साल की हुई सजा

आत्मसमर्पण करने के बाद फूलन देवी को 8 साल की सजा दी गई, जिसके बाद 1994 में वह जेल से रिहा हो गईं. इसके बाद उन्होंने राजनीति में एंट्री ली और वह दो बार सांसद चुनी गईं. पहली बार 1996 में उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट से मिर्जापुर से चुनाव लड़ा और संसद पहुंचीं.


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25 जुलाई 2001 को शेर सिंह ने की थी हत्या

25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा ने दिल्ली स्थित उनके निवास पर अपने साथियों के साथ फूलने देवी की हत्या कर दी थी. फूलन देवी की मौत को लेकर कई बातें सामने आईं, जिनमें से एक राजनीतिक कारणों से उनकी हत्या बताया गया. वहीं उनके पति उम्मेद सिंह पर भी उनकी हत्या का आरोप लगा, लेकिन वह साबित नहीं हो सके. फूलन देवी की मौत के बाद उन पर कई फिल्में बनीं.


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