International Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल मई में रूस का दौरा कर सकते हैं, जहां वे 9 मई को रूस के विक्ट्री डे परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हो सकते हैं। रूस इस वर्ष ग्रेट पैट्रियोटिक वॉर (1941-45) में अपनी जीत की 80वीं वर्षगांठ मना रहा है, जिसे हर साल विक्ट्री डे के रूप में मनाया जाता है।
TASS के अनुसार
रूसी समाचार एजेंसी TASS के अनुसार, क्रेमलिन अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी की संभावित यात्रा की पुष्टि की है, लेकिन भारत की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। यदि यह यात्रा होती है, तो यह एक साल के भीतर प्रधानमंत्री मोदी का तीसरा रूस दौरा होगा।
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मोदी और पुतिन की मजबूत रणनीतिक साझेदारी
भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच मजबूत व्यक्तिगत और रणनीतिक साझेदारी मानी जाती है। पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने दो बार रूस की यात्रा की थी – पहली बार जुलाई में मास्को में द्विपक्षीय वार्ता के लिए, और दूसरी बार अक्टूबर में कज़ान में ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए।
ट्रंप से मुलाकात के बाद पुतिन से मिलेंगे मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में 13 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी, जिसमें भारत-अमेरिका संबंधों के साथ-साथ रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की गई थी। इसके बाद, मोदी का पुतिन से मिलना वैश्विक राजनीति में काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। पहले इस पर चर्चा थी कि राष्ट्रपति ट्रंप भी विक्ट्री डे परेड में शामिल हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने इन अटकलों को खारिज कर दिया।
पुतिन की भारत यात्रा की संभावनाएं
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस साल भारत का दौरा कर सकते हैं। वे भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आ सकते हैं। यह सम्मेलन 2021 के बाद कोविड और वैश्विक परिस्थितियों के कारण रुका हुआ था। अगर पुतिन भारत आते हैं, तो यह साल भारत के लिए विशेष होगा, क्योंकि इस वर्ष अमेरिका और रूस दोनों के राष्ट्रपति भारत का दौरा करेंगे।
भारत-रूस संबंधों की अहमियत
भारत और रूस के संबंधों को विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के रूप में देखा जाता है। दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, और विज्ञान के क्षेत्रों में गहरे संबंध हैं। प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा न केवल विक्ट्री डे परेड में शामिल होने के रूप में महत्वपूर्ण होगी, बल्कि इससे भारत और रूस के द्विपक्षीय संबंधों को भी नई दिशा मिलेगी।