उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में पिछली साल आज ही के दिन बिकरु कांड हुआ था। जिसमे विकास दुबे और उसके साथियों ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। इन्हीं शहीद पुलिसकर्मियों में सिपाही बबलू कुमार भी शामिल थे। जिनका सपना था कि वे पुलिस की वर्दी पहनकर लोगों की मदद करें। वर्दी पहनने का सपना पूरा होने के बाद वे उस राह पर चल रहे थे। मगर, ड्यूटी का फर्ज निभाते समय उन्होंने जान गंवा दी थी। अब उनका सपना भाई उमेश पूरा करेंगे। भाई के बलिदान के बाद अब उन्होंने वर्दी पहन ली है। फिलहाल उमेश की ट्रेनिंग कानपुर पुलिस लाइन में चल रही है। जल्द ही वो अपने भाई का सपना पूरा करने के लिए फील्ड पर उतरेंगे।
भाई की जगह नौकरी करेंगे उमेश
जानकारी के मुताबिक, फतेहाबाद के पोखर पांडे गांव का सिपाही बबलू कुमार कानपुर के बिकरू कांड में बलिदानी हुए थे। परिवार वाले उनकी शादी करने को रिश्ता देख रहे थे। खुशियां आने वाली थी। इससे पहले ही बबलू ने कर्तव्य की राह पर अपनी जान की बाजी लगा दी। सरकार ने उनके बलिदानी होने पर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया था। 23 जून को उनके स्थान पर भाई उमेश पुलिस में भर्ती हो गए। उमेश अभी कानपुर पुलिस लाइन में हैं। उनका संयुक्त प्रशिक्षण चल रहा है।
उमेश का कहना है कि उनके भाई बबलू हमेशा कहते थे कि वर्दी पहनकर लोगों की मदद करनी है। वे हर संभव मदद करते भी थे। उनको देखकर उमेश ने भी पुलिस में भर्ती होने का मन बनाया था। 12वीं करने के बाद अब वे भाई के स्थान पर भर्ती हो गए हैं। उनका कहना है कि अब उन्हें भाई के सपने को पूरा करना है। जल्द ही फील्ड पर उतर कर वो लोगों की मदद करेंगे ताकि उनके भाई को सुकून मिल सके।
क्या है बिकरू कांड
गौरतलब है कि दो जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुरधस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दुबे व उसके साथियों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था। एफआईआर दर्ज करने के बाद उसी रात करीब साढ़े बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरू गांव में दबिश दी गई। यहां पर पहले से ही विकास दुबे और उसके गुर्गे घात लगाए बैठे थे। घर पर पुलिस को रोकने के लिए जेसीबी लगाई थी। पुलिस के पहुंचते ही बदमाशों ने उनपर छतों सेे गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं। चंद मिनटों में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर ये सभी फरार हो गए थे। इन पुलिसकर्मियों में सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेश यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार, सब इंस्पेक्टर नेबू लाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सिपाही सुल्तान सिंह, सिपाही बबलू कुमार, सिपाही राहुल शामिल थे।
इस वारदात के बाद महकमे के साथ साथ पूरे प्रदेश में हड़कम्प मच गया था। तीन जुलाई की सुबह सबसे पहले पुलिस ने विकास के रिश्तेदार प्रेम कुमार पांडेय और अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया। यहीं से एनकाउंटर पर एनकाउंटर शुरू हुए। इसके बाद हमीरपुर में अमर दुबे को ढेर किया। इटावा में प्रवीण दुबे मारा गया। पुलिस कस्टडी से भागने पर पनकी में प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय मिश्रा ढेर कर दिया गया।
विकास दुबे का नौ जुलाई की सुबह उज्जैन में नाटकीय ढंग से सरेंडर हुआ था। एसटीएफ की टीम जब उसको कानपुर लेकर आ रही थी तो सचेंडी थाना क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में विकास मार दिया गया था। एसटीएफ ने दावा किया था कि गाड़ी पलटने की वजह से विकास पिस्टल लूटकर भागा और गोली चलाईं। जवाबी कार्रवाई में वो ढेर हो गया। हालांकि इन एनकाउंटर के बाद कई लोगों ने यूपी पुलिस पर सवाल उठाए लेकिन जांच में सभी सही पाए गए।
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