पुलिस विभाग हमेशा अपनी रौबीली छवि बिगड़े बोल के लिए बदनाम होती है जिसकी वजह से आए दिन खाकी की रंगत फीकी पड़ती रहती है. हरियाणा के दादरी जिले के एक पुलिसवाले की खाकी की रंगत सबसे अलग और साफ़ दिखी. यहां एक पुलिसकर्मी ने मोची से जूते पॉलिश न करवाकर खुद ही जूते पॉलिश करना शुरू कर दिया. आस-पास के लोग यह देख कर यकीन ही नहीं कर पाएं की क्या ये वही पुलिसकर्मी है जो रेहड़ी संचालक व दुकानदार खिदमत करने से नहीं चुकते, और ऑटोरिक्शा में बैठकर सफर कर पैसे नहीं देते है.
लेकिन यह सच बात है हर लाल रंग खून नहीं होता, और हर खाकी वाला जनता को परेशान नहीं करता. दादरी का यह मंजर देख हर कोई हैरान था जहां पुलिसकर्मी ने अपने जूते साफ ही नहीं किए बल्कि मोची से ब्रश प्रयोग करने की फीस भी पूछी. बुजुर्ग मोची ने पैसे पुलिसकर्मी से पैसे नहीं लिए. लेकिन पुलिसकर्मी ने बात नहीं मानते हुए मोची को फीस दे ही दी.
अपना काम खुद करने में कोई दिक्कत नहीं
पुलिसकर्मी से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उसे अपने जूते पॉलिश करवाने थे, मगर बुजुर्ग मोची को देख और उसके पास पड़े ढेर सारे जूतों का काम बाकी देखकर उन्होंने खुद ही जूतों को पॉलिश करना उचित समझा. पुलिसकर्मी ने अपना नाम भी नहीं बताया मगर बस यही कहा कि जब हम घर पर सारा काम खुद ही कर लेते हैं तो बाहर करने में क्या दिक्कत है.
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पुलिसकर्मी ने कहा कि दुनिया में कोई भी इंसान पद और पैसे से छोटा बड़ा नहीं हो जाता है. इसलिए पुलिसकर्मियों को एक तराजू में तौलना गलत हैं। जो लोग रौब दिखाते हैं वो ऐसा नहीं करें क्योकिं उनकी वजह से सबकी छवि खराब होती है. पुलिस समाज की सुरक्षा के लिए होती है, डराने के लिए नहीं. इतना कहते हुए पुलिसकर्मी वहां से चले गए. यह अन्य पुलिसकर्मियों के लिए खाकी के सच्चे रंग का उदाहरण है.
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