भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश में हो रहे धर्म परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए इस मामले पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. अपने इस पत्र में उन्होंने मुख्यमंत्री से कठोर धर्मांतरण विरोधी कानून और एक प्रभावी अंधविश्वास विरोधी कानून बनाने के लिए संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश देने की मांग की है. अश्विनी उपाध्याय ने अपने पत्र में लिखा..
विदेशी शक्तियां धर्म-परिवर्तन के माध्यम से हिंदुओं को भारत में अल्पसंख्यक बनाना चाहती हैं. देश के कई राज्यों में हिंदू पहले ही अल्पसंख्यक हो चुके हैं, इसके बावजूद बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन किया जा रहा है. लक्षदीप और मिजोरम में हिंदू अब मात्र 2% तथा नागालैंड में 8% हैं. मेघालय में 11%, कश्मीर में 28%, अरुणाचल में 29% और मणिपुर में 30% हिंदू बचे हैं. वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में भी बहुत ही सुनियोजित ढंग से हिंदुओं का धर्म-परिवर्तन किया जा रहा है. पूर्वांचल के जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़ और वाराणसी से शुरू हुआ धर्मपरिवर्तन का यह खेल अब पश्चिम उत्तर प्रदेश के बागपत और सहारनपुर तक पहुँच गया है और यदि इसे तत्काल नहीं रोका गया तो आने वाले 10 वर्षों में प्रदेश की स्थिति अत्यधिक भयावह होगी.
नब्बे के दशक तक धर्मांतरण कराने वाली संस्थायें गाँव के गरीब किसान मजदूर दलित शोषित और पिछड़ों को ही टारगेट करती थीं लेकिन अब इन्होंने कस्बों और शहरों में भी अपना जाल बिछा लिया है. उत्तर पूर्व के राज्यों में धर्मांतरण द्वारा हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने के बाद अब ये संस्थायें अब उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में गरीबों का धर्मांतरण करा रहीं हैं. प्रदेश की राजधानी में भी बहुत ही सुनयोजित तरीके से अंधविश्वास और चमत्कार द्वारा धर्मांतरण का खेल चल रहा है. पिछले 10 साल में इन्होंने हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में भी किसान मजदूर दलित शोषित और पिछड़ों को टारगेट करना शुरू कर दिया है.
धर्मांतरण कराने वाले लोग अंधविश्वास और चमत्कार के सहारे गरीब किसान मजदूर दलित शोषित और पिछड़ों को अपने झांसे में लेते हैं और एक कठोर कानून के अभाव में पुलिस भी कुछ कर नहीं पाती है. संविधान के आर्टिकल 51A के अनुसार नागरिकों का यह मौलिक कर्तव्य है कि वे अपनी सभी रीति-रिवाजों को मानवता, विज्ञान और तर्क की कसौटी पर तौलकर उसमें आवश्यकतानुसार सुधार करें. हमारे वेद पुराण गीता रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी कर्म को ही प्रधान बताया गया है, लेकिन कानून के अभाव में धर्मांतरण कराने वाले चमत्कार और अंधविश्वास को बढ़ावा देकर संविधान में प्रदत्त मौलिक कर्तव्य का उल्लघन कर रहे हैं.
कुछ राज्यों ने धर्मांतरण तथा अंधविश्वास और कालाजादू विरोधी कानून बनाया है लेकिन वे कानून बहुत ही कमजोर हैं और अंधविश्वास- कालाजादू तथा धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं को रोकने में असफल हैं इसलिए आपसे निवेदन है कि एक कठोर धर्मांतरण विरोधी कानून तथा एक प्रभावी अंधविश्वास और कालाजादू विरोधी कानून बनाने के लिए संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश दें. जबतक अंधविश्वास और कालाजादू फ़ैलाने वालों तथा धर्मांतरण कराने वालों की 100% संपत्ति जब्त कर उन्हें आजीवन कारावास की सजा नहीं दिया जायेगा तबतक अंधविश्वास और कालाजादू तथा धर्म-परिवर्तन को रोकना असंभव है.
बता दें कि अश्विनी उपाध्याय ने समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान नागरिक संहिता, तीन तलाक, बहुविवाह, हलाला, मुताह, शरिया अदालत, आर्टिकल 35A, आर्टिकल 370, जनसंख्या नियंत्रण तथा चुनाव सुधार, प्रशासनिक सुधार, पुलिस सुधार, न्यायिक सुधार और शिक्षा सुधार पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में 50 से अधिक जनहित याचिकाएं दाखिल की हैं. इन्हें भारत का ‘पीआईएल मैन’ भी कहा जाता है.
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