दसॉल्ट के CEO ने राफेल डील पर कांग्रेस के आरोपों को नकारा, बोले- राहुल गाँधी झूठ फैला रहे हैं

2019 लोकसभा चुनावों में राफेल डील को हथियार बनाकर आगे बढ़ रही कांग्रेस को इस मुद्दे पर एक बड़ा झटका लगा है. फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने अपने एक इंटरव्यू में राहुल गांधी द्वारा लगाए गए हर आरोप को झूठा करार दिया. गौरतलब है राफेल डील को लेकर कांग्रेस ने सड़क से लेकर संसद तक मोदी सरकार के विरोध में जमकर हंगामा किया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि दसॉल्ट ने रिलायंस को 284 करोड़ रुपये मदद के लिए दिए थे.

 

झूठ फैला रहे हैं राहुल गाँधी 

दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वह बिल्कुल निराधार हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने दसॉल्ट और रिलायंस के बीच हुए ज्वाइंट वेंचर (JV) के बारे में सरासर झूठ बोला है. उन्होंने कहा कि डील के बारे में जो भी जानकारी दी गई है वह बिल्कुल सही है, क्योंकि वे झूठ नहीं बोलते हैं.

 

नेहरु के समय से हम डील कर रहे हैं 

एरिक ट्रैपियर ने बताया कि उनकी कंपनी और कांग्रेस का रिश्ता काफी पुराना रहा है, हमारी पहली डील 1953 में जवाहर लाल नेहरु के रहते हुए हुई थी. भारत में हमारी डील किसी पार्टी से नहीं बल्कि देश के साथ है, हम लगातार भारत सरकार को फाइटर जेट मुहैया कराते हैं.

 

पैसा रिलायंस नहीं ज्वाइंट वेंचर में लगाया गया 

राफेल डील में रिलायंस के साथ करार परएरिक ट्रैपियर ने कहा कि हमने जो पैसा इन्वेस्ट किया है वह रिलायंस नहीं बल्कि ज्वाइंट वेंचर में है. उन्होंने कहा कि इस वेंचर में रिलायंस ने भी पैसा लगाया है, हमारे इंजीनियर इंडस्ट्रीयल पार्ट को लीड करेंगे.

 

इसलिए टूटा HAL से करार 

HAL के साथ करार टूटने के सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि  जब 126 राफेल विमान के करार की बात चल रही थी, तब HAL से करार की ही बात थी. लेकिन डील सही तरीके से आगे बढ़ती तो करार HAL को ही मिलता. लेकिन 126 विमान का करार सही नहीं हुआ इसलिए 36 विमान के कॉन्ट्रैक्ट पर बात हुई. जिसके बाद ये करार रिलायंस के साथ आगे बढ़ा.

 

दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने बताया कि आखिरी दिनों में HAL ने खुद कहा था कि वह इस ऑफसेट में शामिल होने का इच्छुक नहीं हैं. और रिलायंस के साथ करार का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया. एरिक बोले कि इस दौरान वह अन्य कंपनियों से करार के बारे में भी सोच रहे थे, जिसमें टाटा ग्रुप जैसे नाम शामिल थे. लेकिन उस समय हम निर्णय नहीं ले पाए, बाद में रिलायंस के साथ जाना तय हुआ.

 

ये है राफेल का दाम 

राफेल के दाम के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ते हुए उन्होंने कहा कि जो अभी एयरक्राफ्ट मिल रहे हैं, वह करीब 9 फीसदी सस्ते हैं. उन्होंने कहा कि जो 36 विमान का रेट है, वह मौजूदा 18 के बिल्कुल समान है. ये दाम दोगुना हो सकता था, लेकिन ये समझौता सरकार से सरकार के बीच का है इसलिए दाम नहीं बढ़ाया गया. बल्कि दाम 9 फीसदी सस्ता भी हुआ. सीईओ ने बताया कि उड़ने के लिए तैयार स्थिति में 36 कॉन्ट्रैक्ट वाले राफेल का दाम 126 कॉन्ट्रैक्ट वाले दाम से काफी सस्ता है.

 

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