गोमती रिवरफ्रंट घोटाला: मुश्किल में अखिलेश, ED की यूपी समेत 4 राज्यों में छापेमारी से मची खलबली

राजधानी लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में भी ईडी की छापेमारी चल रही है। बताया जा रहा है कि इसमें सिचाई विभाग के पूर्व अधिकारियों और गैमन इंडिया के अधिकारियों के आठ ठिकानों पर छापा मारा गया है।


गोमती नगर में ईडी की छापेमारी

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लखनऊ में ईडी की टीमों ने गोमती नगर के विशाल खंड और राजाजीपुरम इलाके में छापेमारी की है। वहीं, गोमती नगर के विशालखंड के मकान नंबर 3/332 में भी ईडी ने छापेमारी की है। बताया जा रहा है कि इंजिनियरों और ठेकेदारों के घरों को भी खंगाला जा रहा है। यही नहीं, राजस्थान के भिवाड़ी में भी छापेमारी चल रही है। इसके साथ ही हरियाणा के गुरुग्राम, नोएडा के सेक्टर-62 स्थित आईथम टॉवर में छापेमारी की खबर है।


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गौरतलब है कि पिछले साल ही गोमती रिवर फ्रंट घोटाले के आरोपी इंजिनियरों की संपत्तियों की जांच प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई थी। प्रवर्तन निदेशालय को आशंका है कि गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण से जुड़े इंजिनियरों ने करोड़ों की अवैध संपत्ति अर्जित की है। यही वजह है कि अब इन आरोपी इंजीनियरों के खिलाफ मनीलांड्रिग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर उनकी संपत्तियों की जांच की जा रही है।


1437 करोड़ खर्च के बाद भी हुआ 65 फीसदी काम

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने आरोपी इंजीनियरों की अचल संपत्तियों की जांच शुरू करते हुए तत्कालीन गोमती रिवर फ्रंट से जुड़े अधीक्षण अभियन्ता शिवमंगल सिंह यादव और चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग और उनकी पत्नी मधुबाला गर्ग, पुत्र तनुज गर्ग के साथ पुत्र वधु स्वाति तनुज गर्ग के हाउस, फ्लैट, कामर्शियल लैंड और अन्य जमीनों का ब्योरा आईजी स्टाम्प से मांगा था। जिसके बाद आईजी स्टाम्प सीताराम यादव ने उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के एआईजी स्टाम्प से आरोपी इंजीनियर और उनके परिजनों की संपत्तियों का ब्योरा तत्काल उपलब्ध कराने का निर्देश जारी कर दिया था।


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जानकारी के मुताबिक, योगी सरकार ने पूर्व सपा सरकार की महात्वाकांक्षी परियोजना गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले का आरोप लगाते हुए जांच शुरू की थी। दरअसल, 1513 करोड़ की परियोजना में 1437 करोड़ रुपया खर्च होने के बावजूद भी काम 65 फीसदी ही पूरा किया गया। जबकि परियोजना की 95 फीसदी रकम निकाल ली गई थी। जिसमें सरकार ने मई 2017 में रिटायर्ड जज अलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच कराई।


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