UP: अखिलेश यादव को ‘थैंक्यू’ बोलकर शिवपाल ने दिए वापसी के संकेत, सपा में हो सकता है प्रसपा का विलय

बीते कई महीनों से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal singh yadav) के समाजवादी पार्टी में वापसी की अटकलों पर विराम लगने का समय आ गया है। प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल ने सपा में वापसी के संकेत दे दिए हैं। उन्होंने पत्र लिखकर अपनी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की याचिका वापस लेने के फैसले पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का आभार जताया है।


बीती 29 मई को अखिलेश यादव के नाम लिखे गए इस पत्र में शिवपाल सिंह यादव (Shivpal singh yadav) ने कहा कि आपके आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मेरी विधानसभा सदस्यता खत्म करने के लिए दी गई याचिका को वापस कर दिया गया है। इस स्नेहपूर्ण विश्वास के लिए आपका कोटिश: आभार। शिवपाल ने आगे लिखा कि निश्चय ही यह मात्र एक राजनीतिक परिघटना नहीं है बल्कि आपके इस तरह के स्पष्ट, सार्थक व साकारात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परिधि में आपके नेतृत्व में एक नव-राजनीतिक विकल्प व नवाक्षर का भी जन्म होगा।


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बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने समाजवादी पार्टी को शिवपाल सिंह की विधानसभा सदस्यता रद्द करने के लिए दायर की गई याचिका को वापस लेने की इजाजत दे दी है। अब इस फैसले के बाद यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय भी हो सकता है। जानकारी के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने पिछले दिनों सपा की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष से याचिका वापस लेने की अनुमति देने का आग्रह किया था। विधानसभा अध्यक्ष ने गुरुवार को इसकी मंजूरी दे दी।


विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि याचिका का परीक्षण किया जा रहा था कि इसी बीच नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने 23 मार्च 2020 को यह कहते हुए कि याचिका प्रस्तुत करते वक्त कुछ महत्वपूर्ण अभिलेख और साक्ष्य संलग्न नहीं किए जा सके थे। इसलिए उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए।


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4 सितंबर 2019 को समाजवादी पार्टी नेता राम गोविंद चौधरी ने शिवपाल सिंह यादव की सदस्यता खत्म करने के लिए याचिका दाखिल की। इस याचिका का परीक्षण किया ही जा रहा था कि इस बीच राम गोविंद चौधरी ने 23 मार्च 2020 को यह कहते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी कि इसे प्रस्तुत करते समय कुछ महत्वपूर्ण अभिलेख और साक्ष्य संलग्न नहीं किए जा सके थे।


जानकारों का कहना है कि भले ही नेता प्रतिपक्ष याचिका वापस लेने के पीछे जरूरी अभिलेखों और साक्ष्यों को संलग्न करने न करने की बात कह रहे हैं, लेकिन इसके पीछे कारण कुछ और ही हैं। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव शुरू से ही बिखरे हुए परिवार लेकर काफी चिंतित रहे हैं। लेकिन यह फैसला इस बात की तस्दीक करता है कि जल्द ही परिवार एक साथ नजर आएगा।


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