अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद माफिया अतीक अहमद (Atiq Ahmed) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. एक तरफ योगी सरकार जहां अतीक के अवैध साम्राज्य पर बुलडोजर चला रही है. तो वहीं दूसरी तरफ उसे एमपी-एमएलए कोर्ट से भी झटका लग रहा है. 2005 में हुए बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल को धमकाने के मामले में प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सोमवार को अतीक अहमद की जमानत को निरस्त कर दिया है.
बता दें वर्ष 2006 में अतीक अहमद पर गवाह उमेश पाल को धमकाने का आरोप लगा था. मामले में अतीक को फरवरी 2009 में जमानत भी मिल चुकी थी. लेकिन जमानत मिलने के बाद भी उसके खिलाफ लगातार अपराधिक मुकदमे दर्ज होते रहे. जिसको आधार बनाते हुए राज्य सरकार की तरफ से वर्ष 2017 में अतीक की जमानत को निरस्त करने के लिए एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी. जिस पर कोर्ट ने अतीक की जमानत को निरस्त कर दिया है.
मामले में बसपा के सक्रिय कार्यकर्ता व जिला पंचायत सदस्य उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड का गवाह है. 25 जनवरी 2005 को शहर पश्चिमी के विधायक राजू पाल की हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड में माफिया अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ मुख्य अभियुक्त हैं. इस हत्याकांड के बाद से ही उमेश पाल को जान से मारने की धमकी दी जाने लगी थी.
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में राजू पाल विधायक हत्याकांड के गवाह उमेश पाल ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसे अगवा कर लिया गया और राजू पाल हत्याकांड में मुकर जाने के लिए दबाव दिया गया. उसे लिखा गया एक कागज दिया गया जिसे कहा गया कि इसे रख लो और यही पढ़कर अदालत में बयान देना है. धमकी दी गई कि ऐसा नहीं करने पर उसकी बोटी बोटी काट डाली जाएगी.
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