जाने-माने इतिहासकर इरफान हबीब ने बीजेपी सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों, जिलों और शहरों के नाम बदलने की कवायद पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि बीजेपी पार्टी को पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का नाम बदलना चाहिए। इरफान हबीब ने तर्क देते हुए कहा कि बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष का उपनाम शाह फारसी मूल का है, ये गुजराती शब्द नहीं है।
इरफान हबीब का आरोप – नाम बदलना आरएसएस का एजेंडा
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर 87 वर्षीय इरफान हबीब का आरोप है कि बीजेपी का नाम बदलने का अभियान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हिंदुत्व नीति पर आधारित है। हबीब के मुताबिक, ये बिल्कुल पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की तरह है, जहां जो भी चीज इस्लामिक नहीं है, उसे हटा दिया जाता है।
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उन्होंने कहा कि भाजपा और दक्षिणपंथी समर्थक उन चीजों को बदल देना चाहते हैं जो गैर हिंदू है और खासतौर पर इस्लामिक मूल की हैं। प्रोफेसर हबीब ने कहा कि यहां तक कि गुजरात शब्द का उद्भव फारसी भाषा से हुआ है। पहले इसे ‘गुर्जरात्र’ कहा जाता था। उन्हें इसे भी बदलना चाहिए।
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आरएसएस के घोर विरोधी माने जाते हैं हबीब
प्रोफेसर हबीब इतिहास के क्षेत्र में जितनी बड़ी हस्ती हैं, उतना ही इनका विवादों से नाता रहा है। बता दें कि 2015 बतौर इतिहासकार इरफान हबीब ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की तुलना कट्टर मुस्लिम आतंकवादी संगठन आईएसआईएस से कर दी थी।
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जानकारी के मुताबिक, जब भारत में बढ़ती असहिष्णुता और सांप्रदायिक हिंसा का हवाला देकर तब इतिहासकार और साहित्यकारों की एक लंबी फेहरिस्त अपने पुरस्कार लौटा रही थी। ठीक उसी समय प्रोफेसर हबीब ने केंद्र सरकार पर विभाजनकारी राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और इस्लामिक स्टेट में बौद्धिक आधार पर ज्यादा अंतर नहीं है।
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