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रायबरेली: BJP विधायक दल बहादुर कोरी का कोरोना से निधन, CM योगी ने जताया दुख

उत्तर प्रदेश के रायबरेली (Raebareli) जनपद के सलोन विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री दल बहादुर कोरी (Dal Bahadur Kori) का लखनऊ के अपोलो अस्पताल में शुक्रवार को इलाज के दौरान निधन हो गया। वह कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे। बीजेपी विधायक इलाज के बाद ठीक हो गए थे, लेकिन इसके बाद उनकी हालत सुधरने की जगह बिगड़ती चली गई। उधर, विधायक के निधन की खबर से क्षेत्र में शोक की लहर है।


जानकारी के अनुसार, करीब एक माह से बीमार विधायक दल बहादुर कोरी का लखनऊ स्थित अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनके निधन से न सिर्फ भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बल्कि हर वर्ग के लोग स्तब्ध हैं। वह अपने विधानसभा क्षेत्र के गांव उदयपुर मजरे पदमपुर बिजौली के मूल निवासी थे।


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बछरावां से भाजपा विधायक राम नरेश रावत ने बताया कि पिछले 15 दिन से वह अपोलो हॉस्पिटल में कोमा में थे। पहले उन्हें कोरोना हुआ था, हालांकि इससे ठीक हो गए थे। लेकिन फिर से उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई और शुक्रवार को उनका निधन हो गया। बता दें कि दल बहादुर कोरी से पहले औरेया से भाजपा विधायक रमेश दिवाकर, लखनऊ पश्चिम से सुरेश श्रीवास्तव, बरेली के नवाबगंज से केसर सिंह गंगवार का निधन हो चुका है।


सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी विधायक दल बहादुर कोरी के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सलोन, रायबरेली से भाजपा विधायक श्री दल बहादुर कोरी जी का निधन अत्यंत दुःखद है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोकाकुल परिजनों को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!


दल बहादुर कोरी का राजनीतिक सफर


दल बहादुर कोरी ने 1984 में कानपुर में भाजपा की सदस्यता ली। 1989 में राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे। 1991 मे भाजपा से टिकट मिला। नामांकन करने जाते समय काफिले में पैर टूट गया। कांग्रेस के शिवबालक पासी चुनाव जीते। 1993 में दलबहादुर कोरी को भाजपा से टिकट मिला तो फिर कांग्रेस के शिवबालक पासी को हरा दिया। 18 माह में सरकार गिर गई।


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इसके बाद 1996 में फिर चुनाव लड़े और शिवबालक पासी को हराया। 2002 में समाज कल्याण राज्य मंत्री रहते हुए चुनाव लड़े जिसमें सपा कि आशा किशोर से हारे। 2007 में भाजपा से टिकट न मिलने के बाद कांग्रेस में चले गये वहाँ भी टिकट न मिलने पर बसपा में शामिल हो गये और चुनाव लड़े। इसमें कांग्रेस के शिवबालक पासी ने हरा दिया। 2012 में पुनः भाजपा में शामिल हो गये और सपा की आशा किशोर से हार गये । 2017 में टिकट मिला तो कांग्रेस व सपा समर्थित प्रत्याशी सुरेश चौधरी को हराया।


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