कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पुनर्स्थापना की महत्वाकांक्षी योजना, “भारत जोड़ो यात्रा” ने अब सौ दिन से अधिक दिन पूरे कर लिए हैं लेकिन यात्रा के दौरान हुयी गतिविधियों और राहुल गांधी के बयानों ने इसे “भारत तोड़ो यात्रा बना दिया है। राहुल गांधी कह रहे हैं कि नफरत के इस बाजार में वह मोहब्बत का पैगाम लेकर चल रहे हैं जबकि वास्तविकता कुछ और ही है।
यात्रा का अब तक का पूरा समय या तो ऐसे लोगों से मिलने में बीता है जो भारत और हिन्दू विरोधी रहे हैं या फिर भारत के प्रधानमंत्री को अपशब्द कहते किन्तु विगत कुछ दिनों में तो राहुल गांधी व उनके पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभी मर्यादाओें को ताक पर रख कर विषवमन प्रारंभ कर दिया है।
चीनियों ने अरुणाचल के तवांग में शरारत करने की हिमाकत की जिनको हमारे वीर जांबाज जवानों ने महज लाठी -डंडों से ही सबक सिखाया और दुम दबाकर भागने को मजबूर कर दिया लेकिन दुर्भाग्यवश भारत का विपक्ष इन सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के स्थान पर मोदी सरकार विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए उनका अपमान कर रहा है।
कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर विराजमान बैकडोर से राज्यसभा सांसद बने खड़गे ने तो प्रधानमंत्री का अपमान करने की मानो सुपारी ले ली है। गुजरात में उन्होंने प्रधानमंत्री को रावण कहकर अपमानित किया परिणामस्वरूप गुजरात की जनता ने कांग्रेस का जो हाल किया है वह पूरी दुनिया ने देख लिया है। अब चीन प्रकरण पर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा को चूहा कहने पर उतर आए। उनके बोल इतने बिगड़े कि आपका तो कुत्ता भी नहीं मारा जैसा सड़क छाप बयान दे दिया । वहीं पार्टी के युवराज राहुल गांधी ने 13 हजार फीट की ऊंचाई पर खड़े सेना के जवानों के लिए पिटाई शब्द का अपमानजनक व दुर्भाग्यपूर्ण प्रयोग किया।
लगता है कांग्रेस 1962 की लड़ाई का इतिहास भूल चुकी है। एक समय था जब देश का कोई भी प्रधानमंत्री अरुणाचल सहित पूर्वोत्तर राज्यों की यात्रा करने में संकोच करता था और वहां के राज्यों का विकास नहीं के बराबर हो रहा था। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काम है कि वह भारत चीन सीमा से सटे आखिरी गांवों तक की यात्रा कर रहे हैं और गति शक्ति से किए जा रहे विकास कार्यों को ग्रामीणों को बारीकी से समझा रहे हैं।
राहुल गांधी अपनी यात्रा में हर राज्य में वहां की स्थिति के आधार पर बयान देते हैं और जितनी बयानबाजी करते हैं उतनी ही कलई खुलती जाती है। जब उनकी यात्रा ने महाराष्ट्र में प्रवेश किया था तब उन्होंने वीर सावरकर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जिसके कारण महाराष्ट्र की राजनीति में तूफान तो नहीं आया पर राहुल की अपनी स्थिति ख़राब हो गयी। लेकिन कांग्रेस अभी भी लगातार वीर सावरकर का अपमान कर रही है जिसमें अभी कर्नाटक विधानसभा के शीतकालीन सत्र में वीर सावरकर की प्रतिमा लगाए जाने का कड़ा विरोध किया गया।
राहुल गांधी ने जब मध्य प्रदेश में प्रवेश किया तब उन्होंने शिवभक्ति का नाटक करते हुए उज्जैन में महाकाल के दर्शन किए और एक बार फिर जयश्रीरम बनाम जय सियाराम बोलने का विभ्रम फैलाने का कार्य किया। राहुल गांधी मोहब्बत का पैगाम देने की बजाए नफरत के बाज़ार को ही गर्म करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। यात्रा के दौरान भाजपा व संघ को झूठ के आधार पर बदनाम करने के लिए तरह- तरह की कहानियां सुना रहे हैं जिससे वह स्वयं ही मजाक का पात्र बन रहे हैं। मध्य प्रदेश की ही एक जनसभा में स्थानीय भील आदिवासी क्रांतिकारी टंटया मामा पर खूब जमकर झूठ बोला जो अविश्वसनीय था। यहां पर उन्होंने आरोप लगाया कि संघ के कारण ही टंटया मामा को फांसी हुई जो कि एक सफेद झूठ था क्योकि जब टंट्या मामा को फांसी हुई थी उस समय संघ का जन्म भी नहीं हुआ था।
विवादों को जन्म देते हुए राहुल गांधी की यात्रा वर्तमान समय में राजस्थान के शहरों से गुजर रही है। यहां पर भी राहुल गांधी व खगड़े की बयानबाजी से सम्पूर्ण भारतीयता का अपमान हो रहा है। राजस्थान में अलवर की जनसभा में राहुल गांधी ने हिंदी भाषा व हिंदी भाषियों का खुलकर अपमान किया। राहुल गांधी का मानना है कि बीजेपी वालों को अंग्रेजी से समस्या है इसलिए सभी लोगो को अंग्रेजी सीखनी चाहिए और अपने बच्चों को भी अंग्रेजी सिखानी चाहिए। उनके इस बयान से सिद्ध हो गया है कि राहुल गांधी की कांग्रेस पूरी तरह से गुलामी की मानसिकता से ओतप्रोत है। राहुल गांधी की कांग्रेस को हिंदी, हिंदू, हिन्दुस्थान तथा सनातन भारतीय संस्कृति से न जाने कितनी घृणा है।
राहुल गांधी ने हिंदी व अंग्रेजी भाषा पर ज्ञान देते हुए कहा है कि अमेरिका- इंग्लैंड वालों से बात करते समय हिंदी वालों को काफी दिक्कत होती इससे सिद्ध होता है कि आज देश में हिंदी भाषा का जो पतन हुआ है उसके पीछे मैकाले की नीतियों से ग्रसित यह कांग्रेस और उसके पीछे छुपने वाले दक्षिण भारत के तमाम क्षेत्रीय दल ही हैं। वैसे हिंदी भाषा का अपमान कांग्रेस के लिए कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर, पी चिदम्बरम तथा दक्षिण भारत के सभी राज्यों के कांग्रेसी नेता समय-समय पर हिंदी को अपमानित करते रहे हैं। शशि थरूर ने तो एक बार कहा था कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की मान्यता नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि जब कोई दक्षिण का नेता पीएम बनेगा तो उसे समस्या होगी। पी चिदम्बरम भी हिंदी विरोध में लेख लिखते रहते हैं और यह लोग यहां तक कह जाते हैं कि अगर हिंदी को जबरदस्ती थोपा गया तो दक्षिण के राज्य अलग हो जाने की मांग करने लग जाएंगे।जबकि वास्तविकता यह है कि हिंदी भाषा के कारण ही आज सम्पूर्ण देश एकजुट है।
कांग्रेस विगत 74 वर्षों तक हिंदी से नफरत करती रही। आजादी के बाद अभी तक कांग्रेस के किसी भी मंत्री ने संसद में रेल व आम बजट हिंदी में नहीं प्रस्तुत किया। कांग्रेस के शासनकाल में संसद व सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी व उर्दू भाषा का बोलबाला हो गया था। तमिल सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ निचले स्तर का व्यवहार किया जाता था। स्वर्गीय मोरारजी देसाई व स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई के अथक प्रयासों से आज देश में हिंदी का विकास हो रहा है तथा हिंदी भाषा का अस्तित्व बचा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल व राज्यों में भाजपा सरकारों के आने के बाद हिंदी का विकास हुआ है। नई शिक्षा नीति में हिंदी व समस्त क्षेत्रीय भाषाओं के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
राहुल गांधी का मानना है कि अंग्रेजी न आने कारण अमेरिका व इंग्लैंड के लोगो से बात करने में समस्या होती है जबकि आज इंग्लैंड में हिंदी व संस्कृत को जानने वाला भारतीय मूल का एक नागरिक ऋषि सुनक प्रधानमंत्री है और अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी अच्छी हिंदी जानती हैं। आज पूरे विश्व में हिंदी का डंका बज रहा है। विश्व का कोई भी देश ऐसा नहीं बचा है जहां पर हिंदी को जानने वाले, पढ़ने वाले तथा हिंदी को समझने वाले न हों।
अभी तक दक्षिण भारत में भारतीय जनता पार्टी को हिंदी के कारण अछूत माना जाता था लेकिन अब वहां पर भी हिंदी के प्रति जनमानस में जागरुकता आ रही है। दक्षिण के सभी राज्यों में हिंदी के समाचार पत्र निकल रहे है। काशी के तमिल संगमम के बाद अब वहां पर भाषाई विभेद और दूर होगा। दक्षिण में अब परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं।दक्षिण के जो राजनैतिक दल भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने के लिए ”हिंदी डाउन डाउन“ का नारा देते थे अब उसकी अहमियत नहीं रह गई है। आने वाले समय में दक्षिण में भाजपा व हिंदी का बढ़ता प्रभाव वहां के परिवारवादी गुलामी की मानसिकता के पोषक राजनैंतिक दलों के अस्तित्व के लिए एक बड़ा संकट बन रहा है। इसी चिंता से कांग्रेसी बौखला गए हैं।
खड़गे का बयान, ”देश के लिए हमारे नेताओं ने कुर्बानी दी है लेकिन आपके घर में देश के लिए कोई कुत्ता भी मरा क्या ?“ यह एक बहत ही असभ्य बयान है जिसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। ऐसा कहकर कांग्रेस ने देश को स्वाधीनता दिलाने वाले सभी महान क्रांतिकारियों व देशभक्तों का अपमान किया जिन्होंने अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी।
कांग्रेस स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान कर रही है, देश की सीमाओं पर खड़े प्रहरियों को गाली दे रही है, हिन्दुओं की सांस्कृतिक विरासत को अपमानित कर रही है, प्रधानमंत्री को अपशब्द कह रही है और उनके नेता राहुल गांधी कहते हैं कि वो मोहब्बत बांटने निकले हैं इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी ?
( मृत्युंजय दीक्षित, लेखक राजनीतिक जानकार व स्तंभकार हैं.)
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