अदिति सिंह पर हमले मामले में सामने आये आरोपी MLC दिनेश सिंह, बयां की कुछ और ही कहानी

रायबरेली सदर सीट से विधायक अदिति सिंह पर कथित हमले ने उत्तर प्रदेश की सियासत को गर्म कर रखा है. कांग्रेस इस मुद्दे को योगी सरकार की क़ानून व्यवस्था से जोड़कर लगातार हमले कर रही है. इसी बीच लम्बे समय तक कांग्रेस में रहे और वर्तमान में बीजेपी नेता दिनेश सिंह जिन पर इस हमले के पीछे का साजिशकर्ता बताया जा रहा है, वो खुद सामने आये. दिनेश ने मीडिया के सामने जो कहानी बयां की वो कांग्रेस से बिल्कुल उलट है.


दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि 14 मई को रायबरेली के जिला पंचायत अध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर घटित घटनाक्रम को गलत तरीके से राजनैतिक फायदा लेने के उद्देश्य से कांग्रेस और सपा के नेताओं ने मीडिया के सामने पेश किया है. ये सिर्फ सरकार को बदनाम करने की साजिश है, जबकि सच्चाई कुछ और है.


दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि सच्चाई यह है कि कई सप्ताह पहले प्रियंका गांधी द्वारा रायबरेली के लगभग 20 जिला पंचायत सदस्यों को बहला-फुसला कर लोभ, लालच देकर मध्य प्रदेश के कांग्रेस महासचिव अजय सिंह के उमरिया स्थित होटल रायल पैलेस तारा-मानपुर में पुलिस की पहरेदारी में बंधक बनाकर रखा गया. इन सभी सदस्यों के फोन इनसे छीन लिये गये. 13 मई की आधी रात मध्य प्रदेश पुलिस की अभिरक्षा में इन्हें उत्तर प्रदेश की सीमा तक पहुंचाया गया. उसके बाद कांग्रेस के दबंग लोगों के हवाले कर दिया गया और सदस्यों को उनके मोबाइल फोन वापस कर दिए गए.


जैसे ही सदस्य जिला पंचायत उत्तर प्रदेश की सीमा पर पहुंचे और फोन पाये अपने परिजनों से संपर्क साधना शुरू किया गया और कांग्रेसी दबंगो के चंगुल से छूटने का प्रयास शुरू किया. रास्ते में जहां भी जिला पंचायत सदस्यों के परिजन पहुंच सके, वहां सदस्यों ने गाड़ी से उतार कर अपने परिजनों के साथ हो लिये. जैसे ही फतेहपुर में जितेन्द्र सोनकर गाड़ी से कूद कर अपने परिजनों के साथ हो लिये. वैसे उन्नाव जिला पंचायत सदस्य मो इस्माइल अपने परिजनों को पाते ही गाड़ी से कूद पड़े और अपने परिजनों के साथ भाग खड़े हुए.


कांग्रेस-सपा ने झूठा आरोप लगाया

इसी प्रकार कुछ जिला पंचायत सदस्यों को यह पता था कि लखनऊ रायबरेली राजमार्ग पर पड़ने वाले टोल प्लाजा पर गाड़िया धीमी होगी. वहां पर कई जिला पंचायत में सदस्यों ने अपने परिजनों व समर्थकों को गाड़ियों सहित बुला रखा था. जहां जिला पंचायत सदस्यों उनके परिजनों एवं कांग्रेस, सपा के दबंगों के बीच जिला पंचायत फायदा उठाने के उद्देश्य से मुझ पर व मेरे परिजनों व भाजपा के कार्यकर्ताओं पर झूठा आरोप मढ़ा गया.


बाइक से टकराई थी विधायक की गाड़ी


इसी प्रकार रायबरेली सदर की विधायक अदिति सिंह लखनऊ से रायबरेली जा रही थीं कि कठवारा से आगे राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक पतली सड़क नया पुरवा से आकर हाईवे पर मिलती है जो दूर से कम दिखाई पड़ती है. उस पतली सड़क से एक मोटरसाइकिल अचानक हाईवे पर आ गई और विधायक की गाड़ी जो बहुत अधिक गति में थी, अनियंत्रित होकर पहले एक राहगीर की गाड़ी संख्या-यूपी-32 एफ.एन 9137 होंडा अमेज ने टक्कर मारी, जो दुर्घटना ग्रस्त हो गई.


उसके बाद विधायक के पीछे चल रही उन्हीं की गाड़ियों ने विधायक की गाड़ी में जोरदार टक्कर मारी, जिससे विधायक की गाड़ी पलट गई और उन्हीं की टक्कर मारने वाली गाड़ी भी पलट गई. इसमें विधायक को मामूली चोटें आई और विधायक की गाड़ी में बैठे जिला पंचायत सदस्य राकेश अवस्थी को भी चोटें आईं. इन दोनों लोगों को विधायक की गाड़ी से आस-पास के लोगों ने दौड़कर निकाला.


सरकार को बदनाम करने की साजिश


MLC दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि इस दुर्घटना में भी लोग राजनैतिक रोटियां सेक रहे हैं. सरकार को बदनाम करने की चालें चली जा रही है. राजनैतिक फायदा उठाने का प्रयास किया जा रहा है और इस दुर्घटना में चोटिल लोगों की ओर से मारपीट की झूठी शिकायते कराकर सरकार को बदनाम करने के प्रयास किये जा रहे हैं. जबकि रायबरेली में किसी भी प्रकार किसी से भी मारपीट की घटना इस पूरे प्रकरण में नहीं हुई. मैंने पूरी जानकारी की है. सुरक्षा व्यवस्था में भी कोई चूक नहीं हुई.


उन्होंने कहा कि जहां पर जिला पंचायत में मतदान होना था, प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गये थे लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के लिए कुल 27 सदस्यों की आवश्यकता को कांग्रेस पूरा नहीं कर पाई. इस कारण अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान करने नहीं गये. इसमें फेल होने के अपमान से बचने के लिए अनावश्यक प्रायोजित आरोप पार्टी कार्यकर्ताओं और सरकार पर लगाए जा रहे है.


रायबरेली सीट कांग्रेस का गढ़ होने के बावजूद वर्ष 2017 तक रायबरेली सदर सीट पर कांग्रेस का कब्ज़ा नहीं रहा. वजह थी ‘विधायक जी’ के नाम से मशहूर अखिलेश सिंह. बाहुबली अखिलेश सिंह क्रिमिनल बैकग्राउंड होने के बावजूद यहां की जमीन पर पकड़ रखते हैं, 2017 में इस सीट पर उनकी बेटी अदिति सिंह कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनी. इस दमखम के बावजूद अदिति पर हमला कई सवाल खड़े करता है.


कौन हैं अदिति सिंह

रायबरेली में वर्चस्व की लड़ाई कोई नयी नहीं हैं. यहां की सदर सीट पर लम्बे समय तक अपना दबदबा कायम रखने वाले और बाहुबली नेता अखिलेश सिंह के गिरते स्वास्थ्य के कारण उनकी राजनीतिक विरासत अदिति सिंह संभाल रहीं हैं. अदिति ने अमेरिका के ड्यूक यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट की पढ़ाई की है. वो दिल्ली और मसूरी के प्राइवेट शिक्षण संस्थानों से भी पढ़ चुकी हैं. 2017 में रिकॉर्ड मतों से विधानसभा चुनाव जीतकर वह विधायक बनी हैं. इसके बाद नगर पालिका चुनाव में अदिति सिंह अपने चहेते को जिताने में कामयाब रही थीं. अदिति सिंह का राजनीतिक ग्राफ रायबरेली की सियासत में लगातार बढ़ता गया है. हाल ही में सोनिया गांधी के चुनाव में भी अदिति सिंह ने काफी मेहनत की है.


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