कोरोना महामारी की वजह से अपने-अपने घरों को लौट चुके प्रवासी श्रमिकों के लिए रेलवे (Railway) अब रोजगार की व्यवस्था (employment to migrant workers ) करने जा रही है। भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा के जरिए काम देने का मन बनाया है। खुद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे को इसके लिए योजना बनाने को कहा है।
रेलवे ने बताया कि इस योजना के तहत देश के पांच राज्यों में प्रवासी श्रमिकों को काम दिया जाएगा। तय किया गया है कि इस योजना के तहत रेलवे क्रॉसिंग, रेलवे स्टेशनों के लिए संपर्क मार्ग का निर्माण और मरम्मत कराने का काम मनरेगा के तहत दिया जाए।
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रेलवे के मुताबिक प्रवासी श्रमिकों में से ज्यादातर मजदूर अकुशल हैं। इसलिए उन्हें लेवल क्रॉसिंग के लिये संपर्क मार्ग का निर्माण और मरम्मत, ट्रैक के पास ड्रेन, जलमार्गों की सफाई, रेलवे स्टेशनों के संपर्क मार्गों के निर्माण और रखरखाव, झाड़ियों आदि को हटाने और रेलवे की जमीन पर पेड़-पौधे लगाने जैसे कार्यों में लगाया जा सकता है।
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इसके साथ ही रेलवे ने यह भी साफ किया कि मनरेगा के तहत रेलवे में अधिक कामकाज नहीं किया जा सकता है। इसका कारण साफ है कि रेलवे का काम गांवों से दूर होता है, मुख्य रूप से ये काम शहरों के आसपास होता है। ऊपर से गांवों के आसपास रेलवे ट्रैक कम होते है, जहां इन लोगों से काम लिया जा सके। ज्यादातर अकुशल श्रमिक होने की वजह से रेलवे में ज्यादातर कामों में इनको नही लगाया जा सकता है। लिहाजा रेलवे कुछ चुने हुये काम ही इन प्रवासी श्रमिको से करवा सकती है।
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