अयोध्या विवादः राम मंदिर पर आज संविधान पीठ करेगी सुनवाई, रोजाना सुनवाई पर भी हो सकता है फैसला

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पांच सदस्यीय नई बेंच आज से सुनवाई करेगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर यह सुनवाई होनी है. कोर्ट यह भी तय करेगी कि इस मामले में जल्द और नियमित सुनवाई होनी चाहिए या नहीं. वकील हरिनाथ राम ने नवंबर में जनहित याचिका लगाकर यह मांग की थी.

 

पहले इस मामले की सुनवाई पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन सदस्यीय बेंच कर रही थी. 2 अक्टूबर को उनके रिटायर होने के बाद इस केस को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली दो सदस्यीय बेंच में सूचीबद्ध किया गया. इस बेंच ने 4 जनवरी को केस की सुनवाई की तारीख 10 जनवरी तय की थी. मंगलवार को इसके लिए 5 जजों की बेंच तय की गई.

 

लोकसभा चुनाव की वजह से मंदिर पर राजनीति गरमाई
लोकसभा चुनाव नजदीक होने की वजह से राम मंदिर मुद्दे पर राजनीति भी गरमा रही है. केंद्र में एनडीए की सहयोगी शिवसेना ने कहा है कि अगर 2019 चुनाव से पहले मंदिर नहीं बनता तो यह जनता से धोखा होगा. इसके लिए भाजपा और आरएसएस को माफी मांगनी पड़ेगी. उधर, केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने अध्यादेश लाने का विरोध करते हुए कहा कि सभी पक्षों को सुप्रीम कोर्ट का आदेश ही मानना चाहिए. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि न्यायिक प्रकिया पूरी हो जाने के बाद एक सरकार के तौर पर जो भी हमारी जिम्मेदारी होगी हम उसे पूरा करने के लिए सभी प्रयास करेंगे.

 

क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला?
हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितंबर, 2010 को 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांट दिया जाए. इस फैसले को किसी भी पक्ष ने नहीं माना और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. शीर्ष अदालत ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट में यह केस पिछले आठ साल से है.

 

Also Read: अयोध्या का इतिहास: जानें कब, कहाँ और कैसे शुरू हुआ था अयोध्या विवाद

 

देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करेंआप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )