कुछ ही दिनों में होली का त्योहार आने वाला है। ऐसे में होली से पहले कई बड़े उत्सव मनाए जाते हैं। इनमे खास है रंगभरी एकादशी। यह एकादशी प्रसिद्ध एकादशियों में से एक है जो फाल्गुन मास (Phalgun Mas) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस बार ये 14 मार्च को मनाई जाएगी। रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि रंगभरी एकादशी पर यदि शिव जी और पार्वती जी की विधि पूर्वक पूजा की जाए तो वह जल्दी प्रसन्न होकर सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।
क्या है इस एकादशी का महत्व
भगवान श्री हरि विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है। रंगभरी एकादशी के दिन काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में भगवान शंकर समेत शिव परिवार की पूजा की जाती है। मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ माता पार्वती के साथ नगर भ्रमण करते हैं और पूरी नगरी में गुलाल से होली खेली जाती है।
माता गौरा का हुआ था गौना-
कहा जाता है कि विश्वनाथ माता गौरा का गौना कराकर पहली बार काशी आए थे, तब उनका स्वागत रंग, गुलाल से किया गया था। इस वजह से हर साल काशी में रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वसाथ और माता गौरा का धूमधाम से गौना किया जाता है।
रंगभरी एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त-
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 मार्च, रविवार को सुबह 10 बजकर 21 मिनट पर होगा। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिति 14 मार्च, सोमवार को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, रंगभरी एकादशी 14 मार्च को मनाई जाएगी। रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक है।
रंगभरी एकादशी शुभ मुहूर्त-
सुबह जल्दी उठने के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान शिव-माता पार्वती की पूजा करें। शिव-पार्वती को गुलाल अर्पित करें। इसके बाद भगवान शंकर को बेलपत्र, दूध और भांग अर्पित करें।
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