Rath Yatra 2025: श्रीराम-बलराम रथोत्सव (Shri Ram-Balram Rathotsav) हिन्दू धर्म का एक विशेष पर्व है, जो विशेष रूप से भगवान श्रीजगन्नाथ (Lord Sri Jagannath), उनके भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा को समर्पित होता है। यह उत्सव ओडिशा के पुरी नगर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, परंतु भारत के विभिन्न भागों में इसके विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं। कुछ स्थानों पर यह उत्सव श्रीराम और बलराम के नाम पर भी मनाया जाता है, जिसमें रथों में इन दिव्य भाइयों की मूर्तियाँ रखकर शोभायात्रा निकाली जाती है। श्रीराम-बलराम रथयात्रा हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है, जो आमतौर पर जून-जुलाई के महीने में आती है। यह तिथि रथयात्रा के लिए बहुत पावन मानी जाती है और इसी दिन पुरी में श्रीजगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की भी रथयात्रा निकलती है। कई स्थानों पर यह यात्रा भगवान श्रीराम और लक्ष्मण (बलराम के रूप में) के लिए भी समर्पित होती है। वही इस वर्ष श्रीराम-बलराम रथयात्रा 27 जून 2025(शुक्रवार) को निकाली जाएगी। वही इसके मुहूर्त की बात करे तो, 26 जून, दोपहर 1:24 बजे से लेकर 27 जून, सुबह 11:19 बजे तक रहेगा।
रथयात्रा क्यों मनाई जाती है?
यह यात्रा भगवान के भक्तों को उनके दिव्य दर्शन कराने और उन्हें आम जनजीवन से जोड़ने के उद्देश्य से होती है। श्रीराम और बलराम की रथयात्रा का आयोजन यह दर्शाता है कि भगवान अपने भक्तों के बीच आते हैं और सबके साथ समान रूप से जुड़ते हैं। लोककथाओं के अनुसार, जब श्रीराम अयोध्या लौटे थे, तो नगरवासियों ने उनका स्वागत शोभायात्रा से किया था , उसी परंपरा को रथयात्रा के रूप में जीवित रखा गया है।
बलराम और श्रीराम का संबंध
बलराम भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भ्राता हैं और उन्हें शेषनाग का अवतार माना जाता है। इसी प्रकार, त्रेता युग में लक्ष्मण भी शेषनाग के ही अवतार थे और श्रीराम के छोटे भ्राता थे। कई परंपराओं में लक्ष्मण को ही बलराम रूप में पूजा जाता है। इसलिए कुछ क्षेत्रों में रथयात्रा श्रीराम और लक्ष्मण के नाम पर आयोजित होती है, जिन्हें वहां श्रीराम-बलराम के रूप में पूजा जाता है।
रथयात्रा की परंपराएं और आस्था
इस दिन लकड़ी के बने विशाल रथों पर भगवान की मूर्तियाँ विराजित की जाती हैं, जिन्हें भक्तगण रस्सियों से खींचते हैं। यह कार्य अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यात्रा के दौरान भजन-कीर्तन, प्रसाद वितरण और धार्मिक नाटकों का आयोजन होता है। यह उत्सव भक्तों के मन में भक्ति, समर्पण और आपसी एकता की भावना को और प्रबल करता है।
रथयात्रा का आध्यात्मिक महत्व
श्रीराम-बलराम रथोत्सव न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन मूल्यों और मर्यादा की शिक्षा भी देता है। श्रीराम हमें धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं, जबकि बलराम शक्ति, साहस और सेवा के प्रतीक हैं। रथयात्रा हमें सिखाती है कि भगवान सबके साथ हैं, और हमें भी अपने जीवन की दिशा उन्हीं के मार्गदर्शन में तय करनी चाहिए।