अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आरएसएस का बयान आया है. संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने मीडिया को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या फैसले पर पर उन्होंने पूरे देश से भाईचारा बनाए रखने की अपील की. साथ ही उन्होंने कहा कि इस फैसले को जय और पराजय की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए.
मोहन भागवत ने कहा कि हम उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं. यह मामला दशकों से चल रहा था और यह सही निष्कर्ष पर पहुंच गया है. इसे हार या जीत के तौर पर नहीं देखना चाहिए. हम समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए सभी के प्रयासों का भी स्वागत करते हैं.
सरसंघचालक ने कहा कि पुरानी बातों को भूलकर मिलकर मंदिर निर्माण का कार्य करवाया जाए. अदालत ने मस्जिद निर्माण को लेकर जो बात कही है, वह जमीन सरकार को देनी है. सरकार इस बात को तय करेगी कि उसे कहां जमीन देनी है. जिस तरह अदालत का फैसला स्पष्ट है. वैसे ही मेरा बयान भी साफ है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने शनिवार को अयोध्या केस (Ayodhya Case) पर फैसला (Verdict) सुनाया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने 45 मिनट तक फैसला पढ़ा और कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए और इसकी योजना 3 महीने में तैयार की जाए. कोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया और कहा कि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए. कोर्ट ने साथ ही कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार तीन महीने में योजना बनाए. सीजेआई गोगोई ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम विवादित स्थान को जन्मस्थान मानते हैं, लेकिन आस्था से मालिकाना हक तय नहीं किया जा सकता. पीठ ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है, हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है.
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