राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता सुरेश ‘भैयाजी’ जोशी (Suresh Bhaiyaji Joshi) ने सोमवार को औरंगजेब की कब्र को हटाने की कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की मांग पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस विषय को अनावश्यक रूप से उठाया जा रहा है और जिन लोगों की श्रद्धा है, वे उस कब्र पर जा सकते हैं। जोशी ने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए यह भी कहा, “औरंगजेब की कब्र उसकी मृत्यु के बाद यहीं बनी थी, इसलिए यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।”
राज ठाकरे की टिप्पणी
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने औरंगजेब की कब्र पर विवाद उठाने की आलोचना की और कहा कि इतिहास को जाति और धर्म के आधार पर नहीं देखना चाहिए। ठाकरे ने यह भी चेतावनी दी कि इस प्रकार के मुद्दों से सांप्रदायिक तनाव पैदा होने की संभावना है, और उन्होंने इसे राजनीतिक लाभ के लिए उठाए गए प्रयास के रूप में देखा।
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कब्र की मौजूदगी भारत की उदारता का प्रतीक
जोशी ने औरंगजेब की कब्र को भारत की उदारता और समावेशिता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “हमारे पास छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर्श है, जिन्होंने अफजल खान की कब्र का निर्माण किया था।” उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, हमें भारत की उदारता को सम्मानित करना चाहिए।
राज ठाकरे का सवाल
राज ठाकरे ने मुंबई के शिवाजी पार्क में वार्षिक गुड़ी पड़वा रैली के दौरान इस विवाद की आलोचना की और सवाल किया, “हमें पानी और पेड़ों की चिंता नहीं है, लेकिन हमें औरंगजेब की कब्र की चिंता है?” उन्होंने कहा कि इस प्रकार की बहसों का कोई वास्तविक आधार नहीं है और यह केवल विभाजनकारी राजनीति का हिस्सा है।
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सांप्रदायिक तनाव और हिंसा की आशंका
राज ठाकरे ने यह भी कहा कि इस प्रकार के विवादों से सामाजिक तनाव उत्पन्न हो सकता है, जैसा कि हाल ही में नागपुर में हिंसा के दौरान हुआ था। उन्होंने चेतावनी दी कि राजनेता इन मुद्दों का फायदा उठा सकते हैं, जिससे समाज में और अधिक संघर्ष उत्पन्न हो सकता है।