प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना 100 साल पहले हुई थी और यह कोई संयोग नहीं था। उन्होंने इसे इस युग का राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार बताया। पीएम मोदी ने कहा कि यह हमारी पीढ़ी के स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि वे संघ की शताब्दी जैसे महान अवसर को देख रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने करोड़ों स्वयंसेवकों को शुभकामनाएं दीं।
आरएसएस के इतिहास में अत्याचार और संघर्ष
पीएम मोदी ने कहा कि संघ के लोगों ने ब्रिटिश शासकों और निजाम के अत्याचार सहे। उन्होंने बताया कि आरएसएस के स्वयंसेवकों को उनके ‘राष्ट्र प्रथम’ भाव के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद संघ के लोग आजादी के आंदोलन में शामिल हुए, कई बार जेल गए और स्वतंत्रता सेनानियों को शरण भी दी। संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार भी जेल गए और उनके साथ कई अन्य लोग भी थे।
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शताब्दी के अवसर पर विशेष सिक्का जारी
प्रधानमंत्री ने आरएसएस की शताब्दी वर्ष के सम्मान में 100 रुपये का सिक्का जारी किया। यह पहला मौका है जब भारतीय करेंसी में भारत माता का चित्र अंकित किया गया। इस सिक्के पर संघ का ध्येय वाक्य ‘राष्ट्राय स्वाहा, इंद राष्ट्राय, इदं न मम’ लिखा है, जिसका अर्थ है, सब कुछ राष्ट्र को समर्पित है, मेरा कुछ नहीं है। पीएम मोदी ने इसे संघ की अविरल तपस्या और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक बताया।
आरएसएस का समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान
पीएम मोदी ने कहा कि आरएसएस से जुड़े संगठन समाज के विभिन्न वर्गों में काम करते हैं, फिर भी कभी किसी के बीच टकराव नहीं हुआ। उनका उद्देश्य हमेशा एक ही रहा ‘राष्ट्र प्रथम।’ उन्होंने उल्लेख किया कि संघ ने गोवा और दादर एवं नगर हवेली के मुक्ति संग्राम में भी योगदान दिया। पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि ये सभी प्रयास केवल राष्ट्र की सेवा और देशभक्ति की भावना से प्रेरित थे।