गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा (West Bengal Assembly) में उस समय माहौल तनावपूर्ण हो गया जब बीजेपी (BJP) और टीएमसी विधायकों (TMC MLA) के बीच तीखी बहस धक्का-मुक्की में बदल गई। सदन की कार्यवाही के दौरान दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ, जो कुछ ही देर में उग्र रूप ले बैठा। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सुरक्षाकर्मियों और मार्शलों को हस्तक्षेप करना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान बीजेपी विधायक सुरक्षाकर्मियों से भी उलझते नजर आए और वे किसी भी कीमत पर अपनी बात रखने पर अड़े रहे।
शुभेंदु अधिकारी सस्पेंड
इस अप्रत्याशित हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सख्त कदम उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी (Shubhendu Adhikari) को सदन की गरिमा भंग करने के आरोप में निलंबित कर दिया। इस फैसले से विपक्ष खासा नाराज़ हो गया। बीजेपी विधायकों और शुभेंदु समर्थकों ने इसे ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार देते हुए कहा कि यह निर्णय विपक्ष की आवाज दबाने के मकसद से लिया गया है। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ टीएमसी ने इस निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखना आवश्यक था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कड़ी प्रतिक्रिया
घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने मीडिया से बात करते हुए बीजेपी पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,विधानसभा की गरिमा को ठेस पहुंचाना अस्वीकार्य है। बीजेपी जानबूझकर सदन में अराजकता फैला रही है। ममता बनर्जी ने सभी विधायकों से संयम बरतने की अपील की और संकेत दिया कि सरकार इस मामले में सख्त रुख अपनाएगी।
विवाद की जड़
पूरे विवाद की शुरुआत राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर हुई। बीजेपी विधायकों ने आरोप लगाया कि सरकार इन गंभीर मुद्दों पर चर्चा से बच रही है और विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। वे नारेबाज़ी और आंदोलन के जरिए सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे थे, जिसे टीएमसी विधायकों ने उकसावे के रूप में लिया। इसी तनातनी में सदन को रणभूमि में तब्दील कर दिया।