साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण सम्मान, सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिए मिली पहचान

गणतंत्र दिवस 2025 के अवसर पर साध्वी ऋतंभरा (Sadhvi Rithambara) को पद्म भूषण (Padma Bhushan) से सम्मानित किया गया है। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें सामाजिक सेवा में उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए प्रदान किया गया। इस वर्ष पद्म पुरस्कारों की घोषणा में 19 अन्य व्यक्तियों के साथ साध्वी ऋतंभरा को यह सम्मान दिया गया।

राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी रहीं साध्वी ऋतंभरा

साध्वी ऋतंभरा, जिनका जन्म 2 जनवरी 1964 को पंजाब के लुधियाना जिले के दोराहा में हुआ था, एक आध्यात्मिक हिंदू नेत्री और मानवतावादी हैं। उनके पिता का नाम प्यारे लाल और माता का नाम कलावती है। उन्हें उनकी कथावाचन की कला और सामाजिक प्रकल्पों के लिए जाना जाता है। साध्वी ऋतंभरा अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़ी रहीं और राष्ट्रीय सेविका समिति, जो आरएसएस का महिला संगठन है, से भी उनका सक्रिय जुड़ाव रहा।

Also Read: Republic Day 2025: सीएम योगी ने कहा- संविधान के दायरे में रहकर करें काम, यह हमारे लिए गौरव का दिन

ऋतंभरा कैसे बनीं साध्वी

साध्वी ऋतंभरा का मूल नाम निशा था। हरिद्वार के संत स्वामी परमानंद गिरी के सान्निध्य में आने के बाद उन्होंने साध्वी जीवन अपनाया और उन्हें ‘ऋतंभरा’ नाम दिया गया। राम मंदिर आंदोलन के दौरान उन्होंने गंगा माता भारत माता यात्रा का नेतृत्व किया और हिंदू जागरूकता अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई।

1980 के दशक में उन्होंने विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू किया। 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद, लिब्राहन आयोग द्वारा उन्हें 68 आरोपियों की सूची में शामिल किया गया। आयोग ने कहा कि उनके तीखे भाषणों ने उस समय का माहौल बनाने में भूमिका निभाई थी। हालांकि, बाद के वर्षों में उन्होंने अपने प्रयास सामाजिक सेवा की ओर केंद्रित किए।

Also Read: Delhi Election: मुफ़्त की सियासत और दांव पर दिल्ली !

वात्सल्य ग्राम: सामाजिक सेवा का केंद्र

राम मंदिर आंदोलन के बाद, साध्वी ऋतंभरा ने अनाथ बच्चों के लिए ‘वात्सल्य ग्राम’ की स्थापना की। इसके माध्यम से वह समाज के वंचित वर्गों की सहायता और सेवा करती हैं। उन्होंने कथावाचन और धार्मिक प्रवचनों के जरिये समाज में अपने सकारात्मक संदेशों का प्रसार किया।

पद्म भूषण सम्मान

साध्वी ऋतंभरा का यह सम्मान उनके जीवन के सामाजिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक योगदान का प्रतीक है। उन्होंने अपने कार्यों से न केवल समाज में बदलाव लाने का प्रयास किया बल्कि भारत की विरासत और संस्कृति को आगे बढ़ाने में भी योगदान दिया।

( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )