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अखिलेश यादव के ‘मॉनसून ऑफर’ ने बढ़ाया UP का सियासी तापमान, बोले- 100 लाओ, सरकार बनाओ

Akhilesh Yadav

उत्तर प्रदेश में इन दिनों सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी में अंदरूनी कलह मची हुई है, जिसकी वजह से सूबे का सियासी पारा चढ़ गया है। यहां संगठन और सरकार के बीच तकरार की खबरें सामने निकलकर आ रही हैं। वहीं, दूसरी तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच सब कुछ ठीक न होने की भी चर्चाएं हैं। भाजपा में मची उथल-पुथल को लेकर विपक्ष भी हमलावर है, लेकिन इन सब के बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने ऐसी बात कह दी है, जिसने सूबे का सियासी तापमान और बढ़ा दिया है।

अखिलेश यादव ने एक्स पर किया पोस्ट

दरअसल, अखिलेश यादव ने गुरुवार को एक्स पर पोस्ट कर मॉनसून ऑफर दे डाला है। उन्होंने कहा है कि 100 लाओ, सरकार बनाओ। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि अखिलेश ने यह ऑफर किसे दिया है? क्योंकि उन्होंने किसी भी नेता का जिक्र नहीं किया है। हालांकि, आपको यादव होगा कि अखिलेश यादव इससे पहले भी इस तरह का ऑफर दे चुके हैं कि अगर आपको सरकार बनाने का सपना पूरा करना है तो 100 विधायक तोड़कर लाइए और मुख्यमंत्री बन जाइए, समाजवादी पार्टी समर्थन कर देगी। इस बयान के जरिए उन्होंने केशव प्रसाद मौर्य को खुला ऑफर दिया था। वहीं, अब एक बार फिर उन्होंने यह ऑफर दिया है।

अब यूपी विधानसभा का गणित समझिए…

उत्तर प्रदेश विधानसभा में इस समय भारतीय जनता पार्टी 251 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं, समाजवादी पार्टी के पास 105 विधायक हैं। अपना दल सोनेलाल 13 विधायकों के साथ तीसरे नंबर पर है। राष्ट्रीय लोक दल के पास आठ विधायक हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के पास 6, निषाद पार्टी के पास पांच, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के पास दो, कांग्रेस के पास दो और बहुजन समाज पार्टी के पास एक विधायक हैं। उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के आंकड़े के लिए 202 विधायकों का समर्थन होना जरूरी है। वहीं, पार्टी को तोड़ने के लिए दो तिहाई विधायक जरूरी होते हैं। ऐसे में किसी भी नेता के भाजपा को तोड़ने के लिए कम से कम 167 विधायकों का एक तरफ आना जरूरी होगा।

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ऐसे में अगर भारतीय जनता पार्टी के 100 विधायकों के साथ केशव प्रसाद मौर्य अलग गुट बनाकर अखिलेश यादव से मिलते हैं तो फिर वह सरकार बना सकते हैं। हालांकि, इस प्रकार की स्थिति में पाला बदलने वाले विधायकों पर दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है। साथ ही, केशव प्रसाद मौर्य लगातार भारतीय जनता पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखा रहे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव के ऑफर को तंज के रूप में ही देखा जा रहा है।

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