उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी दी है कि वे पुलिस कर्मियों और राजस्व विभाग के लोगों को गांव-गांव भेजकर किसानों को चिन्हित करें कि वे किसान आंदोलन में हिस्सा तो नहीं लेने वाले हैं? प्रदेश सरकार के इस फैसले पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि योगी सरकार गांवों में पुलिस भेजकर किसानों में डर पैदा कर रही है।
पुलिस भेजकर किसानों को डरा रही सरकार
समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर कहा कि किसानों के आंदोलन को खत्म करने के लिए यूपी भाजपा सरकार की एक और नई साज़िश! अब आंदोलनकारी किसानों को चिन्हित करने के नाम पर पुलिस की सहायता से आंदोलन की जड़ों को कमज़ोर करने का हो रहा प्रयास। वहीं, सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के प्रत्येक गांव में पुलिस भेजकर किसानों में डर पैदा करने की आलोचना की है।
Also Read: ‘पीएम सम्मान निधि’ की नाम मात्र की धनराशि देकर किसानों का बड़ा नुकसान करना चाहती है BJP: अखिलेश
उन्होंने कहा कि किसानों से बात करने के नाम पर उन्हें धमकाया जा रहा है। किसान नेताओं के साथ ही सपा नेताओं को भी घरों में नजरबंद किया जा रहा है। अखिलेश यादव ने सोमवार को बयान में कहा कि गांवों में धान खरीद की रिपोर्ट बनाने के बहाने पुलिस को भेजा जा रहा जबकि जबकि धान की लूट हो चुकी है। सच्चाई यह है कि इसका उद्देश्य गांवों में डर पैदा करना है ताकि किसानों में भय पैदा करके आंदोलन से अलग रखा जा सके।
यही नहीं, समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने भी योगी सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने सोमवार को ट्वीट कर लिखा कि किसान आंदोलनकारी गांव-गांव चिन्हित होंगे, उन्हें अपने गांव में ही रखने का प्रयास होगा योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा। अभी तक तो योजनाओं और शहरों के नाम बदले जाते थे, लेकिन अब लोकतंत्र की परिभाषा ही बदल दी जाएगी।
Also Read: जौनपुर: शिलापट्ट पर नहीं था नाम तो भड़क गए BJP विधायक, पूजन सामग्री को लात मारने का Video वायरल
बता दें कि सरकार ने किसान आंदोलन में हिस्सा लेने वाले किसानों को चिन्हित करने के लिए शासन स्तर से नोडल अधिकारियों की तैनाती की है। डीजी से लेकर डीआईजी स्तर तक के अधिकारियों को एक-एक जिले की जिम्मेदारी दी गई है। शासन की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि ये अधिकारी संबंधित जिलों में किसान संगठनों से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं का समाधान करें।
प्रमुख किसान नेताओं की सूची तैयार की जाए। इन नेताओं से संवाद स्थापित करने के लिए जिले के अधिकारियों को लगाया जाए। आधिकारियों को तीन दिन में रिपोर्ट देने और कार्ययोजना तैयार करने के लिए कहा गया है।
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )