उत्तर प्रदेश की संभल पुलिस के लिए बुधवार का दिन काला साबित हुआ। जहां 2 सिपाहियों को गोली मारकर तीन बदमाश पुलिस वैन से फरार हो गए। दोनों पुलिसकर्मियों की मौके पर ही मौत हो गई। इस दौरान पुलिस विभाग की संवेदनहीनता देखने को मिली। शहीद दोनों पुलिसकर्मियों के शवों के लिए आला अफसर एम्बुलेंस (Ambulance) तक नहीं उपलब्ध करा पाए और दोनों सिपाहियों को लावारिसों की तरह लोडर में डालकर पोस्टमार्टम हाउस (Post-mortem House) पहुंचाया। वहीं, दोनों शहीद पुलिसकर्मियों को विभाग की तरफ से अंतिम विदाई देने के समय बड़ी चूक देखने को मिली।
शहीद पुलिसकर्मियों के सम्मान में भी जल्दबाजी
पुलिस विभाग की तरफ से ड्यूटी के दौरान शहीद पुलिसकर्मियों के शवों को तिरंगा तक नसीब नहीं हो पाया, जो कि सिस्टम पर कई सवाल खड़े करता है। शहीद पुलिसकर्मियों की विदाई के दौरान की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें पुलिस विभाग अपने जवानों को ठीक से अंतिम विदाई तक नहीं दे पाई है।
सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं कि इन शहीद पुलिसकर्मियों के शवों पर से तिरंगा क्यों गायब है? क्या ये शहीद पुलिसकर्मी इतना भी अधिकार नहीं रखते कि ‘शहादत का गौरव’ मिल सके? सोशल मीडिया के लोग इस तस्वीर को लेकर तरह-तरह से पुलिस विभाग की आलोचना कर रहे हैं। कोई इसे आला अफसरों की जल्दबाजी बता रहा है तो कोई इसे लापरवाही से जोड़ रहा है।
बता दें कि बुधवार को मुरादाबाद जेल में 24 कैदियों को संभल जिले की चंदौसी की अदालत में पेश करने के लिए 6 पुलिसकर्मियों के साथ वैन में गए थे. पेशी कराने के बाद कैदियों को उसी वैन में वापस मुरादाबाद जेल ले जा रहे थे. तभी संभल जिले में देवाखेड़ा गांव के 3 कैदी वैन के भीतर ही सिपाहियों से हाथापाई करने लगे. इसके बाद दूसरे कैदी भी उनका साथ देने लगे. इस दौरान उन्होंने सिपाहियों के साथ मारपीट कर राइफल छीन लिया और विरोध करने पर सिपाही हरेंद्र सिंह और ब्रजपाल सिंह को गोली मार दी।
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