उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कैराना में अपराधियों से लोहा लेने के दौरान शहीद हुए कांस्टेबल अंकित तोमर को राजकीय सम्मान और तिरंगे के साथ अंतिम विदाई दी गई। यही नहीं, अमरोहा में बदमाशों के साथ हुई मुठभेड़ में कांस्टेबल हर्ष चौधरी शहीद हो गए थे, उन्हें भी राजकीय सम्मान और तिरंगे साथ विदाई दी गई। लेकिन संभल में शहीद हुए पुलिसकर्मियों की शहादत पर उन्हें तिरंगा नसीब नहीं हुआ। इसको लेकर जब लोगों ने सवाल उठाया तो संभल पुलिस (Sambhal police) का जवाब बेहद हैरान कर देने वाला था। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यूपी पुलिस शहीदों में भी भेदभाव करती है?
संभल पुलिस बोली- राष्ट्रध्वज का प्रावधान नहीं
दरअसल, संभल में शहीद हुए सिपाहियों को विभाग द्वारा राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई, जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो। इस तस्वीर को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स ने सवाल उठाया कि इन शहीद पुलिसकर्मियों के शवों पर तिरंगा नहीं है, अंतिम विदाई में इतनी भी जल्दबाजी क्या?
यही नहीं, एक ट्विटर यूजर ने सवाल पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश भारत से बाहर है या यूपी में संविधान लागू नहीं होता, वो कौन सा नियम या कानून है जो यूपी पुलिस के सिपाहियों को वीरगति के बाद भी तिरंगा नसीब नहीं होने देता, ये सिपाही की वीरता का अपमान है। यूजर ने सीएम योगी और संभल पुलिस (Sambhal police) को टैग करते हुए लिखा कि आपसे ये उम्मीद न थी।
इस पर संभल पुलिस ने जवाब देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस में राष्ट्रध्वज का प्रावधान नहीं है। ऐसे में संभल पुलिस (Sambhal police) का ये जवाब हैरान करने वाला है क्योंकि यूपी पुलिस के ही कैराना में शहीद हुए कांस्टेबल अंकित तोमर और अमरोहा में बदमाशों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए कांस्टेबल हर्ष चौधरी को राजकीय सम्मान और तिरंगे के साथ अंतिम विदाई दी गई थी।
शहीद सिपाहियों ने बदमाशों का डटकर किया था सामना
बता दें कि संबल जिले में तीन बदमाशों ने 2 सिपाहियों को गोली मारकर दी थी और पुलिस वैन से फरार हो गए थे। अगर इन सिपाहियों ने बदमाशों के आगे सरेंडर कर दिया होता तो शायद उन्हें गोली नहीं मारी जाती, लेकिन इन दोनों सिपाहियों ने बदमाशों का डटकर सामना किया और उन्हें रोकने की कोशिश की थी। जिसकी वजह से बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी थी।
इस घटना के चश्मदीद सिपाही ने बताया कि वह बुधवार को मुरादाबाद जेल में 24 कैदियों को संभल जिले की चंदौसी की अदालत में पेश करने के लिए 6 पुलिसकर्मियों के साथ वैन में गए थे। पेशी कराने के बाद कैदियों को उसी वैन में वापस मुरादाबाद जेल ले जा रहे थे। तभी संभल जिले में देवाखेड़ा गांव के 3 कैदी वैन के भीतर ही सिपाहियों से हाथापाई करने लगे। इसके बाद दूसरे कैदी भी उनका साथ देने लगे।
इस दौरान उन्होंने सिपाहियों के साथ मारपीट कर राइफल छीन लिया और विरोध करने पर सिपाही हरेंद्र सिंह और ब्रजपाल सिंह को गोली मार दी। गोली लगने के बाद दोनों सिपाहियों ने वैन में ही दम तोड़ दिया। इसके बाद बदमाशों ने बाकी पुलिस वालों को भी जान से मारने की धमकी देकर तीनों कैदी वैन का ताला तोड़ भाग गए। फरार कैदी पुलिस वालों की सरकारी राइफल भी साथ ले गए।
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